भोपाल।मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (digvijay singh) का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari vajpayee), जवाहर लाल नेहरू (jawahar lal nehru) की विचारधारा को मानने वाले थे. उन्होंने ने 2014 तक देश के सोशियो इकोनामिक ढांचे को डिस्टर्ब करने की कोशिश नहीं की. वह चाहते थे कि पाकिस्तान से भारत के अच्छे रिश्ते हो. दिग्विजय सिंह ने यह बात लेखक रशीद किदवई की किताब भारत के प्रधानमंत्री, दशा और दिशा के विमोचन समारोह में आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कही.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की विशेष कृपा मुझ पर थी. वह हमेशा मध्यप्रदेश और मेरी प्रशंसा करते थे. सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक केवल 2 प्रधानमंत्री जन संघ और आरएसएस से आए हैं. मैं तो इसे केवल डेढ़ प्रधानमंत्री मानता हूं. दिग्विजय सिंह ने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narender modi) ने अलग हटकर काम करने का साहस दिखाया, उससे देश की दशा कैसी है, यह सबको पता है. सिंह ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू की पर्सनालिटी व्यापक थी. वे सेकुलर थे. कांग्रेस पार्टी (congress party) में फिलहाल इसकी कमी लगती है, तो दुख होता है.
संजय गांधी को बदनाम करने की हुई साजिश
दिग्विजय सिंह ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री (lal bhadur shastri), नेहरू से ज्यादा गांधीवादी थे. वहीं इंदिरा गांधी (indra gandhi) चार्मिंग पर्सन थीं. इंदिरा गांधी ने दृढ़ता से बात रखते हुए काम किया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि संजय गांधी (sanjay gandhi) को बदनाम करने की साजिश हुई है. संजय गांधी के बारे में गलत प्रचार किया गया. वे नियम के पक्के थे. वो एरिटेड कोल्ड ड्रिंक भी नहीं पीते थे. दिग्विजय सिंह ने कहा कि संजय गांधी का यदि देहांत नहीं हुआ होता, तो कांग्रेस की राजनीति और देश की राजनीति कुछ और होती.