भोपाल। शिवराज सरकार एक तरफ दावा कर रही है कि, लॉकडाउन के बावजूद गेहूं की बंपर खरीदी की गई है. वहीं दूसरी तरफ सरकार पर खरीदी में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लग रहे हैं. जिनके कई उदाहरण भी देखने को मिले हैं. लगातार शिकायतें आती रही हैं कि, खरीदी केंद्रों पर किसानों से पैसा लिया जा रहा है. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं आगर मालवा के खरीदी केंद्र में एक किसान की मौत हो जाती है. सहकारिता मंत्री के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का गेहूं तुलने आ जाता है, वो भी पीडीएस का गेहूं. ऐसे में विपक्ष सरकार पर लगातार सवाल उठा रहा है कि, 'बिना सरकारी सरंक्षण के इतना बड़ा भ्रष्टाचार कैसे संभव है'.
गेहूं खरीदी में हुआ भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता, सरकार को नहीं किसानों की चिंता- कांग्रेस
गेहूं खरीदी में भ्रष्टाचार और अनियमितता की लगातार शिकायतें सामने आई हैं. यहां तक कि अव्यवस्था के चलते खरीदी केंद्र में एक किसान की मौत भी हो चुकी है. वहीं सहकारिता मंत्री के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश से पीडीएस का गेहूं उपज क्रय केंद्रों पर बिकने के लिए पहुंच जाता है. इन सबको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है.
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि, 'मध्यप्रदेश में गेहूं खरीदी के नाम पर भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आलम है. किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन सरकार कोई भी व्यवस्था नहीं कर पा रही है. दो दिन पहले आगर मालवा जिले में एक किसान अपनी पैदावार बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहा. उसे एक खरीदी केंद्र से दूसरे खरीदी केंद्र पर भेजा जाता रहा. अंत में गेहूं खरीदी केंद्र पर हृदय गति रुक जाने से उसकी मौत हो गई. इससे ज्यादा दु:खद कुछ नहीं हो सकता है. इसी तरह विभिन्न इलाकों में इस तरह के वीडियो सार्वजनिक तौर पर दिखाई दे रहे हैं. जिसमें किसानों से गेहूं खरीदी के नाम पर 15 रूपए और 20 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा मांगा जा रहा है. वहीं 2-3 किलो गेहूं प्रति क्विंटल अलग से लिया जा रहा है'.
अजय सिंह यादव का कहना है कि, 'सागर में खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश से आए पीडीएस के गेहूं को खरीदी केंद्र पर बेचा जा रहा था. अभी भी इस मामले में किसी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर की गई है. इस तरह का घोटाला बिना किसी मिलीभगत और बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है. किसान दर-दर की ठोकरें खा रहा है. कई जगह पर दो-दो किलो मीटर लंबी लाइन लगी हुई है. किसान गेहूं खरीदी का इंतजार कर रहा है. लेकिन उसका नंबर नहीं आ रहा है'.