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मंत्रियों के स्टाफ और अधिकारियों को गाड़ियों के आवंटन में चल रही बंदरबांट, जानिए कांग्रेस ने क्यों लगाया इतना बड़ा आरोप

चुनावी बेला में कांग्रेस शिवराज सरकार को घेरने के लिए नए-नए मामले निकालकर ला रही है. इसी क्रम में पार्टी नेता पुनीत टंडन ने वाहनों के आवंटन और किराए के भुगतान में बंदरबांट के आरोप लगाए हैं.

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गाड़ियों के नाम पर बंदरबांट

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Published : Apr 5, 2023, 2:25 PM IST

भोपाल।विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. इसी क्रम में कांग्रेस नेता पुनीत टंडन ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में मंत्रियों के स्टाफ के लिए अटैच होने वाली निजी गाड़ियों के नाम पर जमकर बंदरबांट हो रही है. नियमों की अनदेखी कर गाड़ियां अलॉट की जा रही हैं. मनमानी दरों पर उनका भुगतान भी किया जा रहा है. टंडन ने आरोप लगाया है कि कई मंत्रियों के स्टाफ में अटैच वाहनों का किराया करीब 1 लाख रुपए तक चुकाया जा रहा है जबकि वे इसके लिए पात्र ही नहीं हैं. उन्हें नियम विरुद्ध लग्जरी गाड़ियां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

नियमों के उल्लंघन का आरोप:कांग्रेस नेता पुनीत टंडन ने सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा, 'वित्त विभाग द्वारा साल 2012 में जारी परिपत्र में सरकारी अधिकारियों के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए कीमत वाले वाहनों में ही चलने की पात्रता तय की गई है. इसके लिए प्रति किलोमीटर की दर भी निश्चित है. साथ ही प्रति माह 1000 किलोमीटर यात्रा की सीमा भी तय की गई है. लेकिन लोक निर्माण मंत्री के विशेष सहायक द्वारा उपयोग में लाए जा रहे एकमात्र वाहन का किराया ही 90 हजार 355 रुपए भुगतान किया गया है. एक अन्य वाहन का किराया भी 96 हजार 617 रुपए चुकाया गया है.'

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किराए का भुगतान भी अलग-अलग दरों से:टंडन ने कहा, 'कई अधिकारी भी नियमों के वितरीत 20 लाख और उससे भी ज्यादा कीमत के लग्जरी वाहनों में घूम रहे हैं. जल संसाधन विभाग में वाहनों का किराया अलग-अलग दरों से भुगतान किया जा रहा है. विभाग में दो वाहन मंत्री और एक वाहन राज्यमंत्री के नाम से लगे हुए हैं. इसी तरह एक वाहन अवर सचिव को आवंटित किया गया है लेकिन यह भी मंत्री कार्यालय में अटैच है. जल संसाधन विभाग द्वारा किराए पर लिए गए वाहनों को रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी से न लेकर व्यक्तिगत वाहनों को किराए पर लगाया गया है. जबकि नियमानुसार ये ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां होनी चाहिए. इनकी ऐवज में भुगतान भी अलग-अलग दरों से किया जा रहा है. एक कार्यपालन यंत्री एक वाहन का 54 हजार रुपए भुगतान कर रहे हैं जबकि उसी विभाग के दूसरे कार्यपालन यंत्री वाहन का 27 हजार 500 रुपए भुगतान कर रहे हैं.'

ईओडब्ल्यू को जांच की नहीं मिल रही अनुमति: कांग्रेस नेता पुनीत टंडन ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने इस पूरे गोरखधंधे की शिकायत ईओडब्ल्यू सहित अन्य जांच एजेंसियों को की थी, लेकिन सरकार मामले में जांच की अनुमति ही नहीं दे रही है. सरकार जानबूझकर भ्रष्टाचार को दबाने में जुटी है. उन्होंने कहा, 'अब हम इस पूरे मामले को कोर्ट के सामने उठाने वाले हैं. जहां सरकार को जबाव देना मुश्किल हो जाएगा.'

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