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Covid-19: ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की Guidelines को लेकर डॉक्टरों में भ्रम - स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन

कोरोना के नए मामलों में कमी के बाद अब डॉक्टरों के सामने एक नई समस्या आ गई है. दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर की अलग-अलग गाइडलाइन के बाद से असमंजस की स्थिति बन गई है.

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कोरोना गाइडलाइन

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Published : Jun 13, 2021, 9:06 AM IST

भोपाल। कोरोना वायरस के मामलों में कमी के बाद अब डॉक्टरों के सामने एक नई मुसीबत आ गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन ने डॉक्टरों को कंफ्यूज कर दिया है. डॉक्टरों का कहना है कि बदली गाइडलाइन से वे असमंजस में है कि मंत्रालय की माने या आईसीएमआर की. स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन के तहत कई दवाइयों को लेकर मना कर दिया गया है, तो वहीं आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ इन दवाइयों को कोविड-19 मरीजों को देने की कह रहा है.

कोरोना गाइडलाइन

जिंक और विटामिन-सी भी लिस्ट से गायब
बता दें कि नई गाइडलाइन में एविडेंस बेस्ड ट्रीटमेंट की बात कही गई है, जो चौंकाने वाली है. इसमें जिंक और विटामिन सी तक लिस्ट से गायब हैं. लोगों के मन में यही सवाल है कि जो दवाइयां दी जा रही थीं, सरकार ने उनको गैरजरूरी बताकर खारिज क्यों कर दिया.

एंटीबॉडी थेरेपी
डॉक्टरों का मानना है कि कोविड-19 के बारे में अभी ज्यादा पता नहीं है. इसी वजह से समय-समय पर मेडिसिन की थ्योरी चेंज होती रहती है. डॉक्टरों का कहना है कि जो दवाइयां कभी भी फायदेमंद नहीं रही उनको भी दिया गया है. डॉक्टर की माने तो एंटीवायरल दवाइयां, एंटीबॉडी थेरेपी भी दी गई, यह कोरोना अभी तक समझ से बाहर है. बस यही कारण है कि इसके ट्रीटमेंट बदले जाते हैं.

कई बार चेंज हुई गाइडलाइन
दरअसल, डॉक्टर इस बात को लेकर भ्रम में है कि कई बार गाइडलाइन चेंज हुई है. पहले एस क्यू एस ट्रीटमेंट इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता था, लेकिन वह बंद कर दिया गया. उस गाइडलाइन में चेंज हुआ ,रेमडेसिविर इंजेक्शन की जहां तक बात है तो वह भी काफी कंट्रोवर्सी वाली मेडिसिन है, फिलहाल उसको ट्रीटमेंट में शामिल किया गया है. अभी जो कॉर्टिकोस्टेरॉइड थेरेपी के अंदर दिए जाते हैं. वह बहुत ज्यादा नुकसानदायक है. इसके नुकसान साफ देखे जा रहे हैं. डायबिटीज मरीजों में पोस्ट कोविड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं, जिनमे ब्लैक फंगस,आंखो की रोशनी कम होना, जैसे लक्षण बहुत घातक साबित हों रहे हैं. अब इसको कम करने की सलाह आईसीएमआर ने दी है. रेमडेसीविर की एक नई गाइडलाइन आई है, जिसमें कि इन्हें 9 और 10 वें दिन तक देने को कहा गया है. 10 दिन के बाद देने से कोई फायदा नहीं होता.

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प्लाज्मा का असर ना के बराबर
हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी को लेकर भी मरीजों में आपाधापी मची रही, लेकिन डॉक्टर शुरू से ही मानते रहे हैं कि प्लाज्मा का असर ना के बराबर है और आईसीएमआर ने भी इसे अपनी गाइडलाइन में शामिल नहीं किया था, हालांकि डॉक्टर सलाह देते है कि पोस्ट कोविड से ठीक होने के लिए योग और व्यायाम आदि को अपने दिनचर्या में शामिल करें.

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