भोपाल।राजधानी के पुलिस थानों में कंडम वाहनों के ढेर लगे हैं. ये वे वाहन हैं, जिन्हें आबकारी या दूसरे नशे के अवैध कारोबर में लिप्त पाकर जब्त किया गया. कई वाहन ऐसे हैं, जो चेकिंग के दौरान पकड़े गए और उन्हें जब्त कर लिया गया. अनुमान है कि यदि इतने वाहनों को कबाड़ के भाव भी बेच दिया जाए तो पुलिस को 25 से 30 लाख रुपए की कमाई हो जाएगी. राजधानी के 23 थानों में अभी करीब 1500 वाहन जंग खाकर कंडम होने की कगार पर हैं. जबकि ऐसे ही करीब 1800 वाहनों को दो बीते में पुलिस ने नीलाम करके 38 लाख रुपए सरकार खाते में जमा करवाए हैं. इस मामले में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने का कहना है कि कंडम वाहनों को हटाने का अभियान पिछले दिनों चलाया गया था. कई वाहनों को नीलाम भी किया गया. लेकिन यह सतत प्रक्रिया है. फिर से वाहन जमा हो जाते हैं.
किस पुलिस थाने में क्या तस्वीर :हबीबगंज पुलिस थाने में वाहनों का पिरामिड बन गया है. थाने से दस नंबर की तरफ जाने वाले रास्ते में मोड़ के पास इन्हें रखा गया है. इन वाहनों के लगभग पार्ट्स चोरी हो गए हैं और अब सिर्फ बॉडी बची है. कई वाहनों के तो टायर भी निकल चुके हैं. यानी थाने में जब्त वाहनों में ही चोरी हो रही है. वहीं, मिसरोद पुलिस थाना नेशनल हाइवे 12 पर बना हुआ है. थाने के दोनों तरफ कंडम वाहनों की लंबी कतारें खड़ी हो गई हैं. थाने के सामने बनी सर्विस रोड पर सिर्फ कंडम वाहन हैं. पुलिस ने भी इनकी परवाह करनी छोड़ दी. यहां सबसे अधिक 25 पुलिस एक्ट के तहत जब्त किए गए वाहन हैं. इन वाहनों को नीलाम करवाने में लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. यहां कुछ वाहन तो 2010 के पहले से हैं.
इस नियम के तहत होती है नीलामी :पुलिस चोरी की आशंका में मिले वाहनों को धारा 41 के तहत जब्त करती है और इनका निराकरण अदालत के आदेश के बाद किया जा सकता है. जबकि लावारिस हालत में मिले वाहनों को पुलिस एसडीएम की मंजूरी से निराकरण कर सकती है. वैधानिक प्रक्रिया के बाद ही इन्हें नीलाम किया जा सकता है. अधिकांश थानों में कार्रवाई हुई है, लेकिन कई बार तकनीकी समस्या आ जाती है. इनमें आबकारी के वाहनों पर कोर्ट के निर्देश के हिसाब से कार्रवाई की जाती है.