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नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण की समीक्षा को लेकर चिंता, पानी का उपयोग करने में प्रदेश पीछे - Narmada Water Disputes Tribunal

2024 में होने वाली नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण की समीक्षा को लेकर मध्यप्रदेश सरकार समस्या में घिर गई है, क्योंकि सरकार पहले ही संसाधनों की कमी के कारण आवंटित जल का उपयोग नहीं कर सकी है.

Concern over review of Narmada Water Disputes Tribunal
पानी का उपयोग करने मे प्रदेश फिसड्डी

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Published : Dec 26, 2019, 11:44 AM IST

भोपाल। नर्मदा नदी के अपने हिस्से का पानी उपयोग करने में विफल रही मध्यप्रदेश सरकार को अगले 5 सालों में इसके लिए पूरे इंतजाम करने होंगे. क्योंकि 2024 में नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण आवंटित जल की समीक्षा करेगा. इसमें देखा जाएगा की राज्यों ने आवंटित जल का हिस्सा उपयोग किया है या नहीं, जिसके बाद फिर से जल आवंटित किया जाएगा.

पानी का उपयोग करने मे प्रदेश फिसड्डी


नर्मदा जल के लिए प्रस्तावित योजनाओं पर व्यय होने वाले बजट को देखते हुए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण वित्त विभाग और योजना आयोग में मंथन चल रहा है. किसान कर्ज माफी से सरकार पहले ही आर्थिक बोझ से दबी हुई है उधर अब नर्मदा परियोजनाओं के लिए सरकार कर्ज लेने के विकल्प पर भी विचार कर रही है.


नर्मदा जल न्यायाधिकरण ने साल 1989 में मध्यप्रदेश में 18.25 मिलियन एकड़ फीट पानी आवंटित किया था, जिसमें से मध्यप्रदेश सिर्फ 13.14 मिलियन एकड़ फीट पानी का उपयोग कर सका है अभी भी 5.11 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग करने के लिए बांध पाइप नहर परियोजना और सिंचाई परियोजनाओं की जरूरत है.


मध्यप्रदेश को अपने हिस्से का पानी बचाने के लिए अगले 5 सालों में करीब 60 हज़ार करोड रुपए की जरुरत पड़ेगी. उधर नर्मदा घाटी विकास मंत्री हनी सिंह बघेल का कहना है कि इसलिए मुख्यमंत्री समीक्षा कर चुके हैं और कई योजनाओं पर काम चल रहा है. आवंटित जल का पूरा उपयोग करने के लिए शासन ने 1.52 मिलियन एकड़ फीट की योजनाएं शुरु कर दी है, वहीं 4.33 मिलियन एकड़ फीट की योजनाएं प्रस्तावित है.

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