भोपाल।प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्य लगातार जारी है. ऐसे में अगर हर महीने एक करोड़ डोज भी लगते हैं, तो भी 8 करोड बचे हुए वैक्सीन के डोज लगने में 8 महीने लग जाएंगे. सरकार के वो दावे सिर्फ हवा हवाई ही नजर आते हैं. जिनमें सरकार का कहना है कि दिसंबर तक पूरे प्रदेश में सभी का वैक्सीनेशन हो जाएगा. इस बीच ETV भारत ने भी यह जानने की कोशिश की कि क्या दिसंबर तक प्रदेश में सभी का वैक्सीनेशन हो पाएगा, लेकिन आंकड़ों के आधार पर यह समझ में आया कि वैक्सीनेशन को लेकर सरकार इतनी गंभीर ही नहीं है.
सभी के वैक्सीनेशन का लक्ष्य
दरअसल, प्रदेश में सभी 18 साल से अधिक आयु के 5.5 करोड़ नागरिकों को साल के अंत तक दोनों डोज लगाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा. यह सवाल सभी के जहन में घूम रहा है. प्रदेश में जिस रफ्तार से वैक्सीनेशन हो रहा है, उससे दिसंबर तक पूर्ण रूप से वैक्सीनेशन हो पाना संभव नजर नहीं आता है. सरकार भले ही लाख दावे करे, लेकिन स्थिति ऐसी है कि धरातल पर वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है. लोग परेशान हैं सेंटरों पर भीड़ है. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी वैक्सीन नहीं मिल पाती.
ऐसे में वैक्सीन की कमी से जूझ रहे मध्यप्रदेश में दिसंबर तक टारगेट पूरा हो पाएगा, इसको लेकर सरकार के अपने दावे हैं. स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्ट और वैक्सीन के प्रभारी संतोष शुक्ला कहते हैं कि मध्य प्रदेश में अगर प्रतिदिन 10 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जाए तो यह टारगेट आसानी से पूरा किया जा सकता है.
हकीकत कुछ और ही
बता दें कि प्रदेश में 7 करोड़ 50 लाख की आबादी है. जिसमें से दो करोड़ लोग लगभग 18 वर्ष से कम हैं. वहीं 18 वर्ष से अधिक 5 करोड़ 50 लाख के लगभग लोग हैं. ऐसे में सभी को अगर डबल डोज लगता है, तो प्रदेश में कुल 11 करोड़ डोज की जरूरत होती है. प्रदेश में खबर लिखे जाने तक तीन करोड़ 9 लाख कुल वैक्सीन के डोज लग चुके हैं, यानी लगभग 8 करोड वैक्सीन के डोज अभी भी लगना बाकी हैं. ऐसे में अगर एक करोड़ डोज महीने में लगते हैं, तब भी 8 महीने में 8 करोड़ डोज लग जाएंगे. इस लिहाज से मार्च 2022 के बाद ही प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक लोगों का संपूर्ण वैक्सीनेशन हो पाना संभव है. ऐसे में सरकार का इसी साल दिसंबर तक वैक्सीनेशन करने का दावा गलत साबित होता है.
हवा में सरकार के दावे! MP में इस साल तक नहीं हो सकेगा संपूर्ण वैक्सीनेशन, पढ़ें ये खास रिपोर्ट - भोपाल समाचार
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है. ऐसे में अगर दिए गये आंकड़ों पर एक नजर डालें तो स्पष्ट पता चलता है कि प्रदेश में संपूर्ण वैक्सीनेशन का टारगेट दिसंबर तक पूरा होना बहुत मुश्किल है.
दिसंबर अंत तक सभी डोज लगना मुश्किल
वहीं, मध्य प्रदेश डॉक्टर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एसके सक्सेना के अनुसार, दिसंबर अंत तक बचे हुए सभी लोगों को दोनों डोज लग पाना नामुमकिन है. सक्सेना के अनुसार, प्रदेश में फिलहाल 4 दिन ही सप्ताह में वैक्सीन लगाई जाती है, इस लिहाज से अगर महीने में 20 दिन भी वैक्सीन लगती है और रोज 5 लाख डोज भी लगते हैं, तब जाकर एक करोड़ डोज हो पाएंगे और अगर 10 लाख रोज लगते हैं तो भी 20 दिन के हिसाब से 1 माह में दो करोड़ डोज वैक्सीन के लगेंगे, जोकि लग पाना नामुमकिन है. ऐसे में दिसंबर अंत तक भी प्रदेश सरकार अपने टारगेट पर नहीं पहुंच पाएगी.
प्रदेश में अभी की स्थिति
मालूम हो कि 21 जून को विश्व रिकॉर्ड बनाने के बाद से प्रदेश सरकार वैक्सीन के मामले में खूब वाहवाही बटोर रही थी, लेकिन पहले डोज के बाद दूसरे डोज में शिवराज सरकार विफल रही है. अभी तक प्रदेश में 5 करोड़ 50 लाख लोगों को लगने वाले दोनों डोज की संख्या 11 करोड़ होती है, जिसमें से तीन करोड़ 9 लाख लोगों को ही वैक्सीन लगी है. इसमें भी दो करोड़ 58 लाख को वैक्सीन का पहला डोज लगा है, जबकि 51 लाख लोगों को वैक्सीन का दूसरा डोज लगा है.
'मॉडर्ना' की वैक्सीन को DGCI से मिली मंजूरी, सिप्ला करेगी आयात
प्रदेश में 60 साल से अधिक बुजुर्गों की स्थिति
वहीं, प्रदेश में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों का भी वैक्सीनेशन करने में सरकार पीछे है. इंदौर में भले ही 103% वैक्सीनेशन 60 साल से अधिक बुजुर्गों का हुआ है और 17 लाख 12000 बुजुर्गों को टीका लगा है, लेकिन भोपाल में मात्र 10 लाख 68 हजार लोगों को ही टीका लगा है, जबकि ग्वालियर में 5 लाख 83000 को, जबलपुर में 6 लाख 98000 को, उज्जैन में 6 लाख 38000 को, सागर में 4 लाख 95000 को, खंडवा में 2 लाख 77000 को, रीवा में 4 लाख 22000 बुजुर्गों को ही टीका लगा है.