भोपाल।मार्च से कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रदेश भर में लॉकडाउन जारी था. पिछले 4 से 5 महीनों में लोगों का ज्यादातर वक्त अपने घरों में ही गुजरा. इसके चलते घरेलू विवाद के मामलों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई. लेकिन इन झगड़ों का खामियाजा कहीं ना कहीं मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है और ऐसे में चाइल्ड हेल्प लाइन के पास आने वाले कॉल्स की संख्या लगभग दोगुना हो गई है. जिसमें सबसे ज्यादा शिकायतें परिजनों के झगड़ों की ही आ रही है.
1098 हेल्पलाइन पर दोगुनी हुई शिकायतें
मार्च के बाद से ही चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 के पास आने वाली शिकायतों में इजाफा हुआ है. आलम यह है कि मार्च से पहले चाइल्ड हेल्प लाइन के पास जहां महीने में 50 से 60 शिकायतें पहुंचती थी. वहीं अब लॉकडाउन के बाद इन शिकायतों की संख्या 100 से 120 हो गई है. बच्चे इस हेल्पलाइन पर देर रात भी फोन करके शिकायत दर्ज करा रहे हैं. इतना ही नहीं बच्चे इतने ज्यादा मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं कि, वह कॉल करके जल्द से जल्द उनकी समस्या का निराकरण करने की बात कहते हैं, और उनकी मदद नहीं करने की स्थिति में बच्चे आत्महत्या जैसा कदम तक उठाने की बात करते हैं.
सबसे ज्यादा शिकायतें मां-पिता के झगड़ों की
चाइल्ड लाइन के पास सबसे ज्यादा शिकायतें परिजनों के विवाद की आ रही है. बच्चे हेल्पलाइन पर कॉल कर बताते हैं कि उनके परिजन लगातार झगड़ा करते हैं, छोटी-छोटी बातों पर मां और पिता के बीच में झगड़ा होता रहता है. जिससे बच्चों में डिप्रेशन बढ़ रहा है. चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय ने बताया कि बच्चों के कॉल कभी-कभी रात 2 बजे भी आते हैं. बच्चे अपने परिजनों की शिकायत करते हैं. उन्हें समझाने का आग्रह करते हैं. लेकिन कई मामलों में परिजन समझने की कोशिश ही नहीं करते. लिहाजा इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ता है. जिसके चलते कहीं न कहीं बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने से भी नहीं चूकते हैं.
अर्चना सहाय ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ऐसी शिकायतों में इजाफा हुआ है. वहीं उन्होंने बताया कि नाबालिग बच्चियां अपने बॉयफ्रेंड को लेकर भी हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करा रही है. जिसके बाद उसे गंभीरता से लेते हुए बच्चियों और उनके दोस्तों की भी काउंसलिंग की जा रही है.