भोपाल। शहर केकुशाभाऊ ठाकरे सभागार में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) शामिल हुए, इस दौरान सीएम ने महिला-बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department MP) के मैदानी अमले के मार्गदर्शन, प्रोत्साहन एवं उत्प्रेरण के लिए इन्हें प्रोत्साहित किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, लिंगानुपात में सुधार लाना हम सब का संकल्प है. बेटियों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
आंगनवाड़ी कहलाएंगे प्री स्कूल:शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, कुपोषण अभी गया नहीं है. एक समय मध्यप्रदेश में कुपोषण कलंक के रूप में था, लेकिन धीरे-धीरे यह कम हो रहा है. अभी भी स्थिति ठीक नहीं है. बेटियों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है. हमने कानून बनाया है कि, जो बेटियों के साथ दुराचारी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. यहां तक कि, फांसी की सजा के साथ उनके मकान और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जाएगा. शिवराज ने कहा कि, आंगनवाड़ी अब प्री स्कूल कहलाएंगे. मध्य प्रदेश में लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है. पहले 1000 बेटों पर 912 बेटियां थी, अब 956 हो गई हैं. हमारा लक्ष्य है कि 1000 बेटों पर 1000 बेटियां हो.
मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार:महिला-बाल विकास विभाग को नवाचार के लिए सामाजिक समावेश एवं सशक्तिकरण श्रेणी में मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक वस्तुओं और सुविधाओं को सरकार और समाज के प्रयासों से जुटाने के लिए महिला-बाल विकास विभाग द्वारा माह दिसम्बर 2021 में प्रदेश में एडॉप्ट एंड आंगनवाड़ी कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है. इसमें अब तक एक लाख 9 हजार 130 सहयोगकर्ताओं द्वारा अपना पंजीयन कराया गया है.
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लिंगानुपात में सुधार:अब तक लगभग 23 करोड़ 41 लाख रूपये के अनुमानित मूल्य का सहयोग नगद एवं सामग्री के रूप में प्राप्त हो चुका है. पंजीकृत सहयोगियों द्वारा 14 हजार 176 आंगनवाड़ी केन्द्र का अधो-संरचना विकास, 34 हजार 466 आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति तथा 15 हजार 394 आंगनवाड़ी केन्द्र के बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं घटक में सहयोग प्राप्त हुआ है. विभाग की इन उपलब्धियों एवं नवाचार को सराहते हुए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार दिया गया है. उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रकाशित NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश के पोषण एवं शिशु लिंगानुपात में भी सुधार दर्ज हुआ है.