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चैत्र नवरात्रि आज से शुरू, सीएम शिवराज ने दी प्रदेशवासियों को बधाई

आज से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गई है. इस दौरान नौ दिन तक देवी दुर्गा की आराधना की जाएगी, इस अवसर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं.

CHAITRA NAVRATRI
चैत्र नवरात्र

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Published : Mar 25, 2020, 10:19 AM IST

भोपाल।कोरोना वायरस की दस्तक के बीच इस बार चैत्र नवरात्रि में मां के भक्तों को मंदिर के बाहर से पूजा करनी पड़ रही है. नवरात्रि के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं. सीएम ने भी अपनी इस ट्वीट में कम्पलीट लॉकडाउन का पालन करने और विश्व को इस महामारी से मुक्ति मिलने की देवी दुर्गा से प्रार्थना की है.

सीएम शिवराज ने अपनी ट्वीट में लिखा -

नव संवत्सर वर्ष,नवरात्र और गुड़ी पड़वा की आपको हार्दिक बधाई!मां अम्बे की कृपा हो और सम्पूर्ण विश्व को #CoronavirusPandemic से मुक्ति मिले. सब स्वस्थ, खुशहाल रहें. आप सबसे पुनः आग्रह कि 21 दिनों के #CompleteLockDown को सफल बनाकर इस महामारी को परास्त करें. घर में रहें,सुरक्षित रहें.

लॉकडाउन के दौरान घर में इस तरह करें पूजा

कोरोना का कहर अब धार्मिक अनुष्ठानों को भी प्रभावित कर रहा है, लॉकडाउन के बाद मंदिरों के पट बंद हैं और आज से चैत्र नवरात्र शुरू हो गए हैं, लॉकडाउन के कारण लोग किसी शास्त्री से भी नहीं मिल पा रहे हैं. लोग परेशान हैं, कि वो इस बार नवरात्र में पूजा अर्चना कैसे करेंगे. पंडित सुशील शुक्ला बताते हैं, क्या है इस बार नवरात्र में शुभ मुहूर्त, कैसे करें माता की आराधना.

क्या है शुभ मुहूर्त

पंडित सुशील शुक्ला के अनुसार प्रतिपदा के दिन बुधवार की सुबह 5 बजकर 45 मिनट तक पंचक है. सुबह 6 बजे से लेकर ठीक 11 बजकर 30 मिनट के बीच कलश स्थापना करने का सबसे शुभ मुहूर्त है.

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा

पहले दिन मां शैलपुत्री की स्थापना करें, मां शैलपुत्री सिंह पर सवार होकर आती हैं. विधिवत पूजन करके वहां फल और मिठाई का भोग लगाएं, इससे मां शैलपुत्री घर में यश प्रतिष्ठा देती हैं और लोगों को शांति मिलती है.

दूसरे दिन होती है मां ब्रम्हाचारिणी की पूजा

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की स्थापना करें, उस दिन पूजन करके फल दूध और मेवा चढ़ाकर उनकी आरती करें. इससे घर में नियम, संयम, ब्रह्मचर्य का पालन और सत्यता आती है.

तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें, मां चंद्रघंटा का पूजन करके वहां पर फल दूध दही और सूखे मेवे चढ़ाकर भोग लगाएं और मां की आरती करें, ऐसे पूजन करने से घर में धन संपदा और आभूषण आदि की प्राप्ति होती है.

चौथे दिन होती है मां कूष्माण्डा की पूजा

चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी का पूजन करें, इनके पूजन से घर में शांति सुयश और घर में भंडार भरा रहता है, किसी बात की कोई कमी नहीं आती है. आधी व्याधि और रोग की शांति होती है, इस तरह से कुष्मांडा देवी की चौथे दिन पूजन करें.

पांचवें दिन होती है स्कन्दमाता की पूजा

पांचवें दिन स्कन्दमाता का पूजन करें, पांचवें दिन विधिवत पंचामृत से माता का स्नान कराएं. उनको सफेद वस्त्र से आच्छादित करें और उनको पंचमेवा छोहारा, बादाम, किसमिस, काजू चढ़ाएं. ऐसा करने से शरीर निरोग रहता है, घर में शांति आती है और सदभावना आती है.

छठवें दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा

छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा करते हैं. मां कत्यायनी का पूजन करते समय वहां पर कद्दू (कुम्हड़ा) रखें. पूजन करने के बाद फल का भोग प्रसाद लगाएं और फिर आरती करें. घर में आये हुए लोगों के ऊपर स्नेह रहता है, आये हुए लोगों का स्नेह मिलता है और सहयोग मिलता है.

सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा

सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन करें. कालरात्रि देवी को सभी देवी देवताओं ने अपनी शक्ति प्रदान की है. मां कालरात्री का विधिवत पूजन करके वहां पर फल फूल लाल भाजी और अनार का भोग लगाएं और विधिवत आरती पूजन करें. ऐसा करने से घर में शांति सद्भाव सुख धन समृद्धि मिलती है.

आठवें दिन होती है मां गौरी की पूजा

आठवें दिन मां गौरी का पूजन करें. उस दिन मां युद्ध करते- करते थक जाती हैं, विश्राम करना चाहती हैं. इसलिए बढ़िया स्नान कराएं, वहां पर सुसज्जित करें और छोटी- छोटी पूड़ी- हलुआ और चने की दाल चढ़ाकर आरती करें. ऐसा करने से घर में समृद्धि होती है.

नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा

नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. देवी की पूजा करने से घर में अष्ट सिद्ध नौ निधि के दाता आठों सिद्धियां नौवों निधि की प्राप्ति होती है और उस घर में मंगलमय रहता है.

ऐसे करें पूजा

पंडित सुशील शुक्ला के अनुसार माता की पूजन- अर्चन करने के लिए अपने पटा में लाल कपड़ा बिछाकर देवी की स्थापना करें. एक घट में चावल या जल भरकर नारियल बांधे और विधिवत पूजन करें. रोजाना पाठ और आरती करें अंत में हवन करें.

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