मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

काली कमाई के 'कुबेर' को अनिवार्य सेवानिवृत्ति

भ्रष्टाचार के मामले में मध्य प्रदेश के खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी हुआ है. अधिकारी प्रदीप खन्ना के पास से काली कमाई की करोड़ों की संपत्ति उजागर हुई है.

By

Published : Jan 19, 2021, 9:21 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 9:50 PM IST

pradeep khanna
प्रदीप खन्ना

भोपाल। भ्रष्टाचार के जरिए काली कमाई करने वाले जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है. 20-50 फार्मूले के तहत छानबीन समिति ने जांच की, जिसमें शासकीय सेवा के लिए उन्हें उपयुक्त नहीं पाए जाने पर प्रदीप खन्ना के ऊपर ये कार्रवाई की गई है. प्रदीप खन्ना सुर्खियों में तब आए थे, जब साल 2020 में सितंबर के महीने में इंदौर और भोपाल में लोकायुक्त ने छापामार कर उनके पास करोड़ों की संपत्ति उजागर की थी. प्रदीप खन्ना 32 साल की नौकरी के कार्यकाल में तीन बार निलंबित हुए हैं.

20-50 फार्मूले के आधार पर हुई कार्रवाई

20 साल की सेवा और 50 साल की आयु पूरी करने के फार्मूले के तहत प्रदीप खन्ना पर ये कार्रवाई की गई है. भ्रष्टाचार के जरिए काली कमाई करने वाले प्रदीप खन्ना का मामला 20-50 फार्मूले के तहत छानबीन समिति को भेजा गया था. छानबीन समिति ने उनको भ्रष्टाचार में लिप्त पाया था, जिसे देखते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की थी. यह मामला सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा गया था और सामान्य प्रशासन विभाग ने इस मामले में लोक सेवा आयोग से अभिमत मांगा था. लोक सेवा आयोग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सहमति दिए जाने के बाद यह मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को भेजा. जिस पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलते ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है.

पढ़ें-खनिज अधिकारी के इंदौर-भोपाल आवास पर लोकायुक्त का छापा, दस्तावेज खंगाल रही टीम

किन आरोपों के आधार पर लिया निर्णय

जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना पर भ्रष्टाचार के अलावा शासकीय सेवा के दौरान अनुशासनहीनता और कई तरह के आरोप थे. इन आरोपों को आधार बनाकर छानबीन समिति ने उनकी सेवानिवृत्ति की अनुशंसा की थी.

  • इंदौर में पदस्थापना के दौरान सितंबर 2020 में लोकायुक्त का छापा पड़ने के बाद इंदौर कमिश्नर ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इन छापों में आय से अधिक संपत्ति, सरकारी कार्यों में लापरवाही और अनियमितता उजागर हुई थी.

पढ़ें-खनिज विभाग के रिकॉर्ड में पाई गई गलतियां, अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश

  • सीहोर जिले में पदस्थापना के दौरान लोकायुक्त जांच के चलते उन्हें निलंबित भी किया गया था.
  • भोपाल जिले में पदस्थ रहते हुए विभाग के संचालकों और कलेक्टर ने उनकी चार बार वेतन वृद्धि रोकी थी. 2011 में उन्हें भोपाल कमिश्नर ने भी निलंबित किया था.
  • विदिशा जिले में पदस्थापना के दौरान खन्ना को कलेक्टर विदिशा में भ्रमण कार्यक्रम और जानकारी प्रस्तुत नहीं करने के कारण चेतावनी दी थी, फिर उन्हें निलंबित कर दिया गया था.

पढ़ें-खनिज अधिकारी के घर दूसरे दिन भी जारी रही लोकायुक्त की कार्रवाई, बंगला हुआ सील

सितंबर 2020 में पड़े छापों में हुआ था अकूत संपत्ति का खुलासा

प्रदीप खन्ना पिछले 5 साल से इंदौर में पदस्थ थे. इंदौर से उनका श्योपुर तबादला किया गया था, लेकिन वे वहां नहीं गए. एक सितंबर 2020 को इंदौर और भोपाल में उनके ठिकानों पर छापामारा गया था. लोकायुक्त छापे में भोपाल के गौतम नगर में करोड़ों की कीमत वाला मकान, माउंट बर्ग कॉलोनी में 3 मंजिला मकान, 9 लाख रुपए नक0द, 14 लाख के जेवर और इंदौर में कई अघोषित संपत्तियां पता चली थीं. छापे के बाद उनके ऊपर भ्रष्टाचार निवारण एक्ट(Prevention of Corruption Act, 1988) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर निलंबित कर दिया गया था.

Last Updated : Jan 19, 2021, 9:50 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details