भोपाल/ झाबुआ: मध्यप्रदेश की सियासत में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सूबे की सत्ता को लेकर जारी घमासान के बीच झाबुआ उपचुनाव में मिली जीत सत्ताधारी पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. इन दस महीनों में मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भले ही दो बार विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया हो, लेकिन इस दौरान संकट के बादल भी मंडराते रहे हैं. कभी निर्दलीय विधायकों ने सीएम कमलनाथ को आंख दिखाई, तो खुद कांग्रेस के विधायक भी बागी तेवर में नजर आए. लेकिन झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत ने सिर्फ सीएम कमलनाथ की सत्ता पर पकड़ को मजबूत किया है, बल्कि सत्ता में वापसी के दावे कर रही बीजेपी के मंसूबे पर भी पानी फेर दिया है.
झाबुआ उपचुनाव में मिली जीत से सीएम कमलनाथ को मिली बड़ी राहत, बीजेपी की उम्मीदों पर फिरा पानी - Congress candidate Kantilal Bhuria
झाबुआ उपचुनाव में मिली जीत से सीएम कमलनाथ को बड़ी राहत मिली है, इस जीत से जहां कांग्रेस सूबे की सियासत में मजबूत हुई है, तो वहीं बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.
सीएम कमलनाथ को विपक्ष से तो लड़ना ही पड़ रहा है, साथ ही कांग्रेस के असंतुष्ट भी उनकी सत्ता को अक्सर चुनौती देते नजर आते रहे हैं. कभी सिंधिया किसानों की कर्जमाफी को लेकर सवाल खड़े कर देते हैं, तो कभी मंत्री ना बनाए जाने से नाराज विधायक हीरालाल अवाला ने कांग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी की, अलावा ने तो झाबुआ उपचुनाव में जयस की तरफ से उम्मीदवार भी उतारने का एलान तक कर दिया था, लेकिन काफी मान मनौव्वल के बाद उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए. इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी अपनी सरकार पर सवाल खड़े किए. झाबुआ उपचुनाव में मिली जीत से सीएम कमलनाथ ने अपने सभी विरोधियों को एक साथ जवाब दे दिया. साथ ही ये भी बता दिया कि फिलहाल मध्यप्रदेश कांग्रेस में उनसे बड़ा कोई नेता नहीं है.माना जा रहा है कि झाबुआ उपचुनाव के नतीजे सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा दोनों को तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार और खुद सीएम कमलनाथ की स्थिति सूबे की सियासत में मजबूत हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की सत्ता में वापसी की कोशिशों में भी काफी हद तक विराम लगा दिया है.