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खोखले दावेः चिरायु अस्पताल ने आयुष्मान कार्डधारी का फ्री इलाज करने से किया इनकार, मरीज की मौत - treatment in Ayushman Bharat scheme

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों आयुष्मान कार्डधारियों का कुछ चिन्हित अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की घोषणा की थी. इन अस्पतालों की सुची में चिरायु मेडिकल अस्पताल भी शामिल है. लेकिन चिरायु अस्पताल ने एक आयुष्ममान कार्डधारी का कोरोना इलाज करने से मना कर दिया, और पीड़ित से 3 लाख 50 हजार रुपए का बिल वसुल लिया. जब मरीज के परिजन ने प्रबंधक से पुछा तो प्रबंधक ने परिजन के साथ बदसलुखी की और धक्के मारकर अस्पताल से बाहर निकाल दिया. वहीं इस मामले में अस्पताल के मालिक अजय गोयनका ने वीडियो का खंडन किया है.

chirayu Hospital
चिरायु अस्पताल

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Published : May 16, 2021, 9:24 PM IST

Updated : May 16, 2021, 9:59 PM IST

भोपाल। इस कोरोना महामारी के बीच जहां सरकार और प्रशासन रात दिन प्रयास करके मरीजों को बचाने और उनको सुविधाएं देने में जुटा है. वहीं दूसरी ओर भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी मरीजों के परिजनों से गलत व्यवहार करते नजर आ रहे हैं. चिरायु मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक गौरव बजाज का कहना है कि हम सरकार के किसी नियम या आदेश को नहीं मानते. अस्पताल के प्रबंधन के अनुसार अस्पताल के मालिक डॉक्टर गोयनका ने स्टाफ को आयुष्मान कार्ड से कोविड-19 मरीज का इलाज करने से मना कर दिया है. इसके अलावा खुद अस्पताल के मैनेजर गौरव बजाज ने अपना वीडियो बनवाया और वीडियो बनवाते हुए कहा है, कि हम आयुष्मान कार्ड स्वीकार्य नहीं करेंगे, और हमने सरकार को जवाब दे दिया है. सवाल करने पर पीड़ित योगेश बलवानी को सुरक्षा गार्डों से धक्के दे कर अस्पताल से बाहर निकलवा दिया. वहीं इस मामले में अस्पताल के मालिक अजय गोयनका ने वीडियो का खंडन किया है.

आयुष्मान कार्डधारी का फ्री इलाज करने से किया इनकार
  • चिरायु मेडिकल कॉलेज को नहीं है प्रशासन का कोई डर

दरअसल ये पूरा मामला चिरायु अस्पताल का है. यहां पर 63 वर्षीय रुक्मिणी बलवानी कोरोना संक्रमण का इलाज करवा रही है. मरीज के बेटे योगेश बलवानी ने अस्पताल में इलाज के लिए 3 लाख 50 हजार रुपए जमा कर दिए. जब योगेश के पास पैसे नहीं बचे तो उसने सीएम चौहान की घोषणा के बाद आयुष्मान कार्ड से इलाज करवाना चाहा. लेकिन अस्पताल के प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड मान्य न करने का हवाला देकर मरीज का इलाज करने से मना कर दिया. जब योगेश ने जिद की तो प्रबंधक ने उसे धक्के मारकर अस्पताल से बाहर निकाल दिया.

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  • 'आयुष्मान भारत के तहत नहीं करेंगे उपचार'- प्रबंधन

योगेश बलवानी ने बताया कि 19 अप्रैल को अपनी मां को कोरोना का इलाज कराने के लिए चिरायु हॉस्पिटल में भर्ती किया था. मरीज के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी है, इसके बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन ने उपचार के लिए 3 लाख रुपए जमा करवा लिए. उपचार के दौरान बीते शुक्रवार को जब मरीज के बेटे योगेश बलवानी ने हॉस्पिटल प्रबंधन से कहा कि उनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है, तो मैनेजर गौरव बजाज ने साफ इनकार कर दिया. मैनेजर ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे, जो करना हो कर लो. इतना ही नहीं इस बारे में जब योगेश ने डॉक्टर गोयनका से बात की तो उन्होंने भी धुत्कारते हुए कहा कि 'तुझे सीएम के पास शिकायत करना है कर दे, कलेक्टर के पास शिकायत करना है, दिल्ली भेजना है भेज दे जो करना है कर ले. हम आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे.

डॉक्टर अजय गोयनका
  • मरीज के के भर्ती होने के बाद आया आदेश

चिरायु अस्पताल के मालिक डॉक्टर अजय गोयनका का कहना है कि वीडियो वायरल करने वाले की मां 19 अप्रैल से अस्पताल में भर्ती है. सरकार का आदेश 7 मई को आया है. इसके बाद सभी आयुष्मान कार्डधारियों का निःशुल्क कोरोना इलाज चल रहा है. और जब तक मेरा इम्पैनलमेंट आयुष्मान योजना के तहत रहेगा तब तक अस्पताल में इलाज चलेगा. जो वीडियो वायरल हो रहा है. वह एडिट किया हुआ वीडियो है. मैं इस वीडियो का खंडन करता हूं.

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  • सीएम चौहान ने किया था निःशुल्क इलाज का वादा

आठ मई को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि आयुष्मान कार्डधारियों का चिन्हित निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज निःशुल्क होगा. इन अस्पतालों की सुची में चिरायु अस्पताल को भी शामिल किया गया था.

  • पिछले साल हुआ था निःशुल्क उपचार

इस पूरी घटना में अस्पताल प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आया है. यह वही चिरायु अस्पताल है जो कि 2020 में सरकार की तरफ से कोरोना के इलाज के लिए निःशुल्क था. इस साल सरकार ने इस अस्पताल को अपनी सूची में शामिल नहीं किया है, लेकिन डॉक्टर गोयनका कोविड इलाज के लिए सरकार को सलाह और सलाहकार के रूप में जरूर बुलाया जाता है.

  • मां की मौत के बाद नहीं दिया सर्टिफिकेट

योगेश बलवानी ने बताया कि शनिवार की शाम को उपचार के दौरान उनकी मां की मौत हो गई. इसके बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन 3 लाख रुपए और जमा कराने का दबाव बनाया. रुपए जमा नहीं कर पाने के कारण हॉस्पिटल ने मरीज के डिस्चार्ज पेपर और डेथ सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है. वीडियो वायरल होने के बाद भी मरीज को अभी तक शासन से कोई राहत नहीं मिली है.

Last Updated : May 16, 2021, 9:59 PM IST

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