भोपाल। प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अब पारंपरिक खिलौनों से पढ़ने लिखना सिखाया जायगा. इसके लिए राज्य शिक्षा केन्द्र ने कक्षा पहली से आठवीं के कक्षा तक के बच्चों के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया है. इस कार्यक्रम के तहत अप्रैल से जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चे पारंपरिक खिलौने से खेलते नजर आएंगे. इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के 3 जिलों से की जाएगी, जिसके लिए मास्टर ट्रेनर भी तैयार किए गए हैं.
राज्य शिक्षा केन्द्र की अनोखी पहल खेल-खेल में होगी कठिन विषयों की रुचिकर पढ़ाई
राज्य शिक्षा केन्द्र से कक्षा पहली से आठवीं के छात्रों के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया है जिसे अगले सत्र से स्कूलों में लागू किया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत शासकीय स्कूलों के छात्र खेल खेल में कठिन विषयों की पढ़ाई करेंगे. गणित,विज्ञान,सोशल साइंस जैसे कठिन विषयों की पढ़ाई छात्र खेल के माध्यम से करेंगे. शिक्षा की प्रक्रिया को और अधिक रोचक बनाने के लिए स्थानीय खिलौनों को पढ़ाई में शामिल किया जाएगा. इससे बच्चों में सीखने व समझने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी. राज्य शिक्षा केंद्र ने इसके लिए कार्यक्रम तैयार कर लिया है. सभी स्कूलों को भी भेज दिया है, इसके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग भी राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कराई जाएगी.
ऐसे होगी पारंपरिक खिलौनों से पढाई
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा बनाये गए कार्यक्रम के तहत बच्चों को स्कूल में गिल्ली डंडा , क्रिकेट सहित अन्य खेल खिलाए जाएंगे गिल्ली डंडा से छात्रों को गणित विषय की पढ़ाई कराई जाएगी. गिल्ली डंडा को मापने की विधि छात्रों को सिखाई जाएगी. साथ ही छात्रों को लाइन में खड़ाकर गिनती सिखाई जाएगी. इसी तरह हिंदी के लिए नृत्य से बारहखड़ी, अंताक्षरी से शब्द का ज्ञान कहानी व कविता से भाषा का ज्ञान सिखया जाएगा. वहीं सोशल साइंस के लिए लकड़ी की बैलगाड़ी और पुरानी चीज़ों से पुरानी व्यवस्थाओं व आवागमन के बारे में समझाया जायगा.
बच्चों में पढाई की रुचि बढ़ाने के लिये शिक्षा में नवाचार
राज्य शिक्षा केन्द्र के अपर मिशन संचालक लोकेश कुमार जांगिद ने बताया कि कक्षा पहली से आठवीं के छात्रों के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. जिसमें बच्चों को खेल के माध्यम से विषयों का ज्ञान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कठिन विषयों की पढ़ाई खेल के माध्यम से पढ़ाई जाएगी. जिससे छात्रों में पढ़ने के लिए रुचि जागे ओर छात्र कठिन विषयों को भी आसानी से पढ़ें और समझे. उन्होंने बताया इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार हो चुकी है. अगले सत्र से पहली से आठवीं की कक्षाओं में इसे लागू किया जयगा.