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सरकारी स्कूल के बच्चों को नहीं पता क्या होती है ऑनलाइन पढ़ाई, फेल हुए शिक्षा विभाग के दावे

कोरोना संक्रमण के चलते इस साल स्कूलों का नया सत्र अब तक शुरू नहीं हो पाया है. अब सितंबर महीने में भी स्कूल खोले जाएंगे या नहीं यह निश्चित नहीं है. ऐसे में कक्षाएं ऑनलाइन के माध्यम से ही लगाई जाएंगी, लेकिन क्या ये कक्षाएं वाकई ऑनलाइन के माध्यम से लग रही हैं, जिस तरह का दावा स्कूल शिक्षा विभाग कर रहा है कि, 90% छात्र ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं. यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने भोपाल के नजदीक ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पड़ताल की, जिसमें सरकार के सभी दावे फेल होते नजर आए.

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Published : Jul 9, 2020, 2:04 PM IST

Updated : Jul 9, 2020, 2:30 PM IST

भोपाल।राजधानी भोपाल के नजदीक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को पता ही नहीं है कि, ऑनलाइन कक्षाएं क्या होती हैं, जब से स्कूल बंद हुए हैं, तब से अब तक छात्रों ने पढ़ाई नहीं की है. ना ही शिक्षकों से उनका कोई संपर्क है. अभिभावकों को भी ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बच्चों के परिजन कहते हैं कि, लॉकडाउन बंद हुआ तो स्कूल बंद हो गया, घर में भी कोई पढ़ा लिखा नहीं है, जो बच्चों को पढ़ा सके. स्कूल में जो पढ़ाया जाता था, उतना ही ज्ञान बच्चों को मिलता था. अब जब लॉकडाउन हुआ, तो बच्चे घर में ही है. घर के काम में हाथ बंटाते हैं, लेकिन पढ़ाई का कोई माहौल अब घर में नहीं बचा.

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लॉकडाउन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूल अब मवेशियों का अड्डा बन चुके हैं. जो स्कूल बच्चों की चहल- पहल से गुंजा करते थे, अब कोरोना संक्रमण के कारण उनमें ताले पड़े हुए हैं और स्कूलों में आवारा जानवर पैर पसारे बैठे हैं. ये माहौल कब तक रहेगा, इसकी कोई समय अवधि तय नहीं है, ऐसे में जब तक स्थिति ठीक नहीं हो जाती और सरकार अगला आदेश नहीं देती तब तक शैक्षणिक संस्थान इसी तरह बंद रहेंगे और स्कूलों में ताले पड़े रहेंगे.

मध्यप्रदेश में स्कूलों की स्थिति

मध्यप्रदेश में राज्य शासन के कुल 17,676 स्कूल हैं. इसमें सरकारी स्कूलों की संख्या 9361 है. जबकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या 8,326 है. सरकारी स्कूलों की अगर हम बात करें, तो केवल 60 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं, जहां ऑनलाइन कक्षाएं नियमित रूप से लगाई जा रही हैं और केवल 20 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों से शिक्षक संपर्क में हैं और व्हाट्सएप पर इन छात्रों को सामग्री मिल पा रही है. बाकी 10 प्रतिशत स्कूल जो पूर्णत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, यहां ऑनलाइन कक्षाएं नहीं लग रही हैं.

निजी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं 70 प्रतिशत तक लग रही हैं, यहां ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं, क्योंकि इन स्कूलों में हर बच्चे के घर कम से कम 1 स्मार्ट फोन है. जिसके माध्यम से छात्र अगर वीडियो काल पर नहीं जुड़ पाता तो व्हाट्सएप पर उसे शिक्षण सामग्री उपलब्ध हो जाती है, वहीं शासकीय स्कूलों में स्थिति बिल्कुल उलट है, यहां 60 प्रतिशत छात्रों के घर मे स्मार्ट फोन नहीं है और जिनके पास है भी, तो ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के चलते वे ऑनलाइन नहीं जुड़ पाते.

इन छात्रों को ना ही व्हाट्सएप पर शिक्षण सामग्री मिल रही है और ना ही शिक्षकों से इनका कोई संपर्क बना हुआ है. हालात यह है कि, इन छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में जानकारी ही नही है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग का दावा है कि, जिन छात्रों के पास शिक्षण सामग्री नहीं है, उनके घर शिक्षक खुद जाकर शिक्षण सामग्री दे रहे हैं. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.

राज्य शासन कर रहा ऑनलाइन कक्षाओं को दुरुस्त करने का प्रयास

राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त लोकेश जाटव बताते हैं कि, स्कूल शिक्षा विभाग इस संक्रमण के चलते छात्रों की पढ़ाई को लेकर गंभीर है. जब तक स्कूल नहीं लगते, तब तक विभाग ऑनलाइन कक्षाओं को दुरुस्त करने के प्रयास में लगा है. राज्य शिक्षा केन्द्र आयुक्त लोकेश जाटव का कहना है कि, सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन कक्षाएं अच्छी तरह लग लग रही हैं. शिक्षकों के प्रयास से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला बच्चा भी अध्ययन कर रहा है. बल्कि शिक्षक उन छात्रों को घर जाकर सामग्री दे रहे हैं, जिनके पास मोबाइल, लैपटॉप या टीवी जैसे माध्यम नहीं हैं, लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में यह दावे फेल नजर आए.

ऑनलाइन कक्षाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत भोपाल के आसपास के ग्रामीण इलाकों में पहुंचा और यहां बच्चों से बात की. इन इलाकों में बच्चे गाये चराते या खेतों में काम करते नजर आए. जब बच्चों से पूछा गया कि, स्कूल जाते हैं या नहीं, तो बच्चों ने जवाब दिया कि, कोई बीमारी आई है, जिसके वजह से स्कूल बंद हो गए हैं और तबसे ही हम घर पर हैं. बच्चों से पूछा गया कि, ऑनलाइन पढ़ाई होती है या नहीं, तो जवाब मिला ऑनलाइन पढ़ाई क्या होती है ?

हैरान करने वाली बात है कि, जहां स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर बड़े- बड़े दावे कर रहा है, वहीं छात्रों को पता ही नहीं कि, ऑनलाइन कक्षाएं क्या होती हैं. सवाल ये है कि, जब भोपाल के आस-पास के इलाकों में ऑनलाइन कक्षाओं की हकीकत ये है, तो फिर अन्य जिले और छोटे छोटे तबकों में स्थिति क्या होगी.

Last Updated : Jul 9, 2020, 2:30 PM IST

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