भोपाल।राजधानी भोपाल के नजदीक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को पता ही नहीं है कि, ऑनलाइन कक्षाएं क्या होती हैं, जब से स्कूल बंद हुए हैं, तब से अब तक छात्रों ने पढ़ाई नहीं की है. ना ही शिक्षकों से उनका कोई संपर्क है. अभिभावकों को भी ऑनलाइन कक्षाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बच्चों के परिजन कहते हैं कि, लॉकडाउन बंद हुआ तो स्कूल बंद हो गया, घर में भी कोई पढ़ा लिखा नहीं है, जो बच्चों को पढ़ा सके. स्कूल में जो पढ़ाया जाता था, उतना ही ज्ञान बच्चों को मिलता था. अब जब लॉकडाउन हुआ, तो बच्चे घर में ही है. घर के काम में हाथ बंटाते हैं, लेकिन पढ़ाई का कोई माहौल अब घर में नहीं बचा.
लॉकडाउन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूल अब मवेशियों का अड्डा बन चुके हैं. जो स्कूल बच्चों की चहल- पहल से गुंजा करते थे, अब कोरोना संक्रमण के कारण उनमें ताले पड़े हुए हैं और स्कूलों में आवारा जानवर पैर पसारे बैठे हैं. ये माहौल कब तक रहेगा, इसकी कोई समय अवधि तय नहीं है, ऐसे में जब तक स्थिति ठीक नहीं हो जाती और सरकार अगला आदेश नहीं देती तब तक शैक्षणिक संस्थान इसी तरह बंद रहेंगे और स्कूलों में ताले पड़े रहेंगे.
मध्यप्रदेश में स्कूलों की स्थिति
मध्यप्रदेश में राज्य शासन के कुल 17,676 स्कूल हैं. इसमें सरकारी स्कूलों की संख्या 9361 है. जबकि प्राइवेट स्कूलों की संख्या 8,326 है. सरकारी स्कूलों की अगर हम बात करें, तो केवल 60 प्रतिशत स्कूल ही ऐसे हैं, जहां ऑनलाइन कक्षाएं नियमित रूप से लगाई जा रही हैं और केवल 20 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों से शिक्षक संपर्क में हैं और व्हाट्सएप पर इन छात्रों को सामग्री मिल पा रही है. बाकी 10 प्रतिशत स्कूल जो पूर्णत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, यहां ऑनलाइन कक्षाएं नहीं लग रही हैं.
निजी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं 70 प्रतिशत तक लग रही हैं, यहां ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं, क्योंकि इन स्कूलों में हर बच्चे के घर कम से कम 1 स्मार्ट फोन है. जिसके माध्यम से छात्र अगर वीडियो काल पर नहीं जुड़ पाता तो व्हाट्सएप पर उसे शिक्षण सामग्री उपलब्ध हो जाती है, वहीं शासकीय स्कूलों में स्थिति बिल्कुल उलट है, यहां 60 प्रतिशत छात्रों के घर मे स्मार्ट फोन नहीं है और जिनके पास है भी, तो ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के चलते वे ऑनलाइन नहीं जुड़ पाते.