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शिक्षा से वंचित शासकीय स्कूल के छात्र, कंटेनमेंट जोन के 20 प्रतिशत स्कूल बंद, ऑनलाइन पढ़ाई भी गायब

ईटीवी भारत की पड़ताल में शासन की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए चलाई जाने वाली सभी योजना धरातल पर सिमट कर रह गई हैं. आज भी बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से नही जुड़ पा रहे हैं, क्योंकि गांव में इंटरनेट से लेकर बिजली तक की सुविधा नहीं है, वहीं कुछ गरीब परिवारों के लिए स्मार्ट फोन एक सपने से कम नहीं है, ऐसे में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं और अगर यही स्थिति रही तो प्रदेश के छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. देखिए ये खास रिपोर्ट...

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Published : Sep 28, 2020, 3:05 PM IST

Children studying in government schools are deprived of education even today due to lack of resources
शासकीय स्कूलों में संसाधनों का अभाव

भोपाल। कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा देने के लिए शासन की ओर से ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ पाना शासकीय स्कूलों के बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले 60 प्रतिशत छात्रों के पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है. हालांकि नई गाइडलाइन के अनुसार कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूल खोले गए हैं. इसलिए कोरोना काल के बीच कुछ छात्र स्कूल आ भी रहे हैं. क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए उनके पास साधन नहीं हैं. लेकिन उनका क्या जो 20 प्रतिशत कंटेनमेंट जोन में आते हैं. आखिर वो कैसे लेंगे शिक्षा.

शासकीय स्कूलों में संसाधनों का अभाव

कंटेनमेंट जोन के बच्चे शिक्षा से वंचित

कोरोना काल मे स्कूल बंद होने की वजह से शासकीय स्कूलों के छात्रों को शिक्षा लेने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्र आज 6 महीने बाद भी पढ़ाई से वंचित हैं. प्रदेश के शासकीय स्कूल भले ही खुल चुके हैं, लेकिन राजधानी के 20 प्रतिशत स्कूल कंटेंनमेंट जोन में हैं और ये ऐसे इलाके हैं जहां ज्यादातर बच्चे बेहद गरीब परिवारों से आते हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन की सुविधा नहीं है और ना ही टीवी का साधन है. जिससे दूरदर्शन पर पढ़ सके. ऐसे में इन क्षेत्रों के छात्र आज स्कूल खुलने के बाद भी स्कूलों में पढ़ाई करने से वंचित हैं.

संसाधनों के अभाव में शिक्षा से दूर

ग्रामीण इलाकों में बच्चों के पास फोन नहीं है और अगर है भी तो इंटरनेट की सुविधा नहीं है, जिस वजह से छात्र संसाधनों के अभाव में शिक्षा से वंचित हैं. उच्चतर कन्या शाला जंहागीराबाद की प्राचार्य उषा खरे ने बताया कि उनके स्कूल में 50 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित हैं. कई प्रयासों के बाद भी बच्चों को कक्षाओं से जोड़ पाना शिक्षकों के लिए चुनौती है. 'हमारा घर हमारा विधालय' अभियान के तहत शिक्षकों ने घर-घर जाकर कक्षा लगाने का प्रयास किया, लेकिन स्कूल कंटेंनमेंट जोन में है. इसलिए संक्रमण के खतरे के चलते हर बच्चे के घर जाना मुश्किल है. प्राचार्य उषा खरे का कहना है कि ये बच्चों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे ना तो ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ पा रहे हैं और ना ही स्कूल खुलने के बाद स्कूल में कक्षाओं का लाभ ले पा रहे हैं.

ऑनलाइन क्लास से जोड़ना चुनौतीपूर्ण

वहीं ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन के 6 माह गुजारना बेहद मुश्किल भरा था, बच्चों को ऑनलाइन क्लास में जोड़ना चुनौती बनी रही. बच्चों को शिक्षा भी देनी है और संसाधन जुटाना भी मुश्किल है, लेकिन कहीं बच्चे का मोह पढ़ाई से ना टूट जाए इसलिए बच्चों को पढ़ाई के लिए मदद करने में जो मुमकिन हुआ वो किया.

ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरनेट समस्या

इंदु परमार ने बताया की बेटी कक्षा 9वीं की छात्रा है. लॉकडाउन में व्यापार भी बंद हो गया, लेकिन बेटी को पढ़ाने के लिए स्मार्ट फोन की ज़रूरत थी, ऐसे में उन्होंने पैसे इकट्ठा कर 14 हजार का फोन खरीदा. जिससे बच्ची कक्षा से जुड़ पाए ,लेकिन फिर मोबाइल में डाटा की समास्याएं आने लगी और नेटवर्क के कारण भी ठीक तरह से कक्षा नहीं लग पाई, लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद थोड़ी राहत मिली है.

ग्रामीण इलाकों में डिजिटल खाई
स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि संसाधनों के अभाव में पिछले 6 माह से कक्षाओं से वंचित रहे. जिससे पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ. जिन बच्चों की 10वीं ओर 12वीं है वे बच्चे अपने भविष्य को लेकर चिंता में है कि अगर कोरोना का खतरा नहीं टला और स्कूल ऐसे ही डिजिटल लगने लगे तो ये गरीब बच्चे कैसे शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे.

ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि शासन का 'हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान' सफल है. इसमें उन बच्चों को शिक्षा दी जा रही जो ऑनलाइन क्लास में नहीं जुड़ पाते हैं और अब स्कूल भी खोल दिए गए हैं. शासन का प्रयास है कि हर बच्चा शिक्षा से जुड़ सके.

ईटीवी भारत की पड़ताल में शासन की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए चलाई जाने वाली सभी योजना धरातल पर सिमट कर रह गई हैं. मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे संसाधनों के अभाव में आज भी शिक्षा से वंचित हैं. स्कूल तो खुल गए लेकिन कंटेंनमेंट जोन के 20 प्रतिशत स्कूल अब भी बंद हैं. इन छात्रों को न ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ मिल रहा है और न ही स्कूल में कक्षाओं का लाभ ऐसे में आखिर कैसे पढ़ेंगे छात्र.

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