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NCRB का चौकाने वाला खुलासा, मध्यप्रदेश में सुरक्षित नहीं बच्चे, पुलिस चलाएगी विशेष अभियान - NCRB का चौकाने वाला खुलासा

पुरानी रंजिश और मानव तस्करी के चलते बच्चों को अगवा करने या उनकी हत्या जैसी वारदातें देश में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. बच्चों के गायब होने के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है. पढ़िए पूरी खबर...

children missing
बच्चों के गायब होने के मामले

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Published : Nov 5, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 2:20 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. बच्चों के गायब होने के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है. प्रदेश 6 हजार 981 बच्चे गायब है. सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि लापता बच्चों में 5,735 लड़कियां शामलि हैं. पिछले साल ही गायब हुए बच्चों में से 2267 बच्चियों को अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है. बच्चों के लापता होने के मामले मानव तस्करी से भी जुड़ते रहे हैं. उधर, लापता बच्चों को खोजने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा सितंबर माह में प्रदेश भर में अभियान चलाया गया है. जिसमें करीब एक हजार बच्चों को खोजने में सफलता मिली है, आधा दर्जन जिलों में एक बार फिर अभियान शुरू किया जा रहा है.

मध्यप्रदेश में बच्चे नहीं सुरक्षित

छोटे जिलों से भी गायब हो रहे बच्चे

छोटे जिलों से भी लापता हो रहे बच्चों के गायब होने की घटनाएं भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों के अलावा छोटे जिले भी शामिल हैं, लेकिन जिस अनुपात में बच्चे गायब हो रहे हैं, उस अनुपात से उन्हें खोजा नहीं जा रहा है.

महिलाएं भी नहीं है सुरक्षित

लापता बच्चियों की संख्या सबसे ज्यादा
सागर जिले में 459 बच्चे गुम हुए हैं जिनमें से 128 अब भी लापता हैं. इनमें 116 बच्चियां नहीं मिल सकीं है. वहीं छतरपुर में 251 बच्चे गुम हुए हैं. इनमें से 88 बच्चे अब भी लापता हैं और लापता बच्चों में 82 बच्चियां शामिल हैं. रीवा जिले की बात करें तो 467 बच्चे गुम हुए हैं. इनमें से 134 अब भी लापता, जिनमें लापता बच्चों में 99 बच्चियां शामिल हैं. वहीं सतना जिले में 409 बच्चे गुम हुए. जिनमें से 115 बच्चे हैं वहीं 91 बच्चियां शामिल हैं.

एमपी में इतने बच्चे हुए गायब
बच्चों के गायब होने के मामले में एमपी तीसरे पायदान परमध्यप्रदेश महिलाओं के गुम होने के मामले में भी टॉप राज्यों में है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के गायब होने के मामले में मध्यप्रदेश देश में तीसरे पायदान पर है.

मानव तस्करी से जुड़े तार

बच्चों के गायब होने के ममाले मानव तस्करी से भी जुड़े हैं, सामाजिक कार्यकर्ता रेखा श्रीधर कहती हैं कि बच्चों के गायब होने के मामले प्रदेश में स्थिति चिंताजनक है, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंताजनक स्थिति बच्चियों के न मिलने की है. आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस का रूख बहुत उत्साहजनक नहीं रहता. है. पुलिस मानकर चलती है कि वे किसी लड़के के साथ चली गई होगी, लेकिन लड़कों के गुमशुदगी और बरामदगी के आंकड़े बहुत बेहतर हैं. यह मामले मानव तस्करी से जुड़े हैं और इस तरह की कई घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं. अगस्त माह में शहडोल जिले में ऐसा ही मामला सामने आ चुका है, जिसमें जालंघर से आरोपी पूरन को गिरफ्तार किया था. आरोपी ने करीब 13 लड़कियों का दूसरे राज्यों में बेच दिया था.

बच्चों को ढूंढने के लिए पुलिस चलाएगी अभियान

पुलिस मुख्यालय के महिला अपराध सेल की आईजी दीपाली सूरी के मुताबिक सितंबर माह में गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए अभियान चलाया गया और करीब एक हजार बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया. इनमें से 499 बच्चे पिछले एक साल से गायब थे. उनके मुताबिक इंदौर, रीवा, सतना, सागर, धार सहित 8 जिलों में फिर यह अभियान चलाया जा रहा है, ताकि गुम हुए बच्चों को ढूंढा जा सके.

सितंबर माह में चलाए गए अभियान में करीब एक हजार बच्चे हुए बरामद हुए, इनमें से 499 बच्चे एक साल से गायब थे- पुलिस मुख्यायल इंदौर, रीवा, सतना, सागर, धार सहित आठ जिलों में ऑपरेशन चलाया जाएगा.

Last Updated : Nov 5, 2020, 2:20 PM IST

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