भोपाल।कोरोना संक्रमण के चलते कई महीनों से स्कूल बंद हैं. जब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू भी हुई, तो इंटरनेट और स्मार्टफोन या कंप्यूटर तक पहुंच नहीं होने की वजह से बड़ी तादाद में स्कूली बच्चे शिक्षा से वंचित रह गए. अब अनलॉक के बाद ऐसे घर-परिवार के बच्चों को मजदूरी करने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं. इधर मध्य प्रदेश बाल आयोग ने इस संबंध में उन तमाम जिलों के संभाग आयुक्तों को पत्र लिखा हैं, जो मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों की सीमा पर हैं.
कोरोना संक्रमण की दर कम करने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन लगाया. इस दौरान कारोबारी गतिविधियों और फैक्ट्रियां बंद रहीं. इससे करोड़ों लोगों को बेरोजगार होना पड़ा. उनके परिवारों को आजीविका के संकट का सामना करना पड़ा. जानकारी के मुताबिक, देश में पांच से 18 साल के आयु वर्ग के मजदूरों की संख्या 3.30 करोड़ हैं, लेकिन कोरोना, बाढ़ और अम्फान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा हैं. लॉकडाउन का असर हर व्यक्ति पर पड़ा है. राज्य में बाल श्रम में कई प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं. बाल श्रम का प्रतिशत 14 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में बढ़ा हैं.
हनुमानगंज क्षेत्र निवासी नाबालिग 14 साल का हैं. वह सरकारी स्कूल में पढ़ता था, लेकिन लॉकडाउन में उसके सामने एक पारिवारिक संकट भी पैदा हो गया. उसके माता-पिता का काम बंद हो गया. सेठ ने माता-पिता को पुराना पैसा भी नहीं दिया, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहने लगा. इसलिए तालाबंदी खुलते ही किराने की दुकान पर काम पर आना पड़ा.
नाबालिग का कहना है कि अगर सरकार स्कूल खोलती है और पढ़ाई शुरू हो जाती है, तो वह अपनी पढ़ाई पर वापस चला जाएगा, लेकिन अगर उसे परिवार के लिए कुछ काम भी मिल जाए, तो बेहतर है कि सरकार से उसकी यही मांग हों.