नई दिल्ली (Agency-ANI)। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सी -17 ग्लोबमास्टर विमान के माध्यम से शनिवार को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आएंगे, जो पहले ही सुबह भारत से उड़ान भर चुके हैं. गुरुवार को नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन 12 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आगमन के दिन ही छोड़ा जाएगा. चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एसपी यादव ने भी बताया कि विमान ने गुरुवार सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरी. ये विमान चीतों को लेकर सुबह करीब 10 बजे ग्वालियर उतरेगा.
हिंडन एयरबेस से दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान :IAF के C-17 ग्लोबमास्टर ने देश में 12 चीतों को लाने के लिए गुरुवार सुबह हिंडन एयरबेस से दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरी. IAF इस कार्य के लिए कोई राशि नहीं ले रहा है. विमान शुक्रवार रात 8 बजे दक्षिण अफ्रीका से उड़ान भरेगा और अगले दिन सुबह करीब 10 बजे ग्वालियर उतरेगा. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 18 फरवरी को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ेंगे.
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पहली खेप में 8 चीते आए थे :उन्होंने बताया कि चीतों को MI-17 हेलीकॉप्टर द्वारा कूनो नेशनल पार्क में लाया जाएगा. सभी चीतों ने कूनो नेशनल पार्क में अपने परिवेश को अच्छी तरह से अनुकूलित किया है. बीते 17 सितंबर को नामीबिया से लाए 8 चीतों में से 'सासा' नाम की एक चीता को छोड़कर सभी चीते ठीक हैं. यहां सभी चीतों में रेडियो कॉलर लगाए गए हैं और सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जा रही है. इसके अलावा, प्रत्येक चीते के पीछे एक समर्पित निगरानी टीम 24 घंटे स्थान की निगरानी करती रहती है.
एमओयू की हर 5 साल में समीक्षा :बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के साथ समझौता ज्ञापन के अनुसार 12 चीतों का प्रारंभिक जत्था इस महीने दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाना है. समझौता ज्ञापन की शर्तों की हर 5 साल में समीक्षा की जाती है. समझौते के अनुसार भारत में व्यवहार्य और सुरक्षित चीता आबादी स्थापित करने के लिए सहयोग की सुविधा प्रदान करता है. साथ ही चीता संरक्षण को बढ़ावा देता है. भारत सरकार की महत्वाकांक्षी चीता प्रोजेक्ट के तहत प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के दिशानिर्देशों के अनुसार जंगली प्रजातियों विशेष रूप से चीतों का पुनरुत्पादन किया जा रहा है. भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है. सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक 'प्रोजेक्ट टाइगर', जिसे 1972 में शुरू किया गया था. (This is an agency copy and not edited by ETV Bharat)