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आजादी खत्म! अब बाड़े में ही रहेगा चीता पवन, जानें वन विभाग ने क्यों लिया ऐसा फैसला - cheetah pawan oban

कूनो नेशनल पार्क का चीता पवन(ओबान) अब बाड़े में ही रहेगा. दरअसल पवन बार-बार भाग कर गांव के पास पहुंच रहा है, इसलिए वन विभाग ने फैसला किया है कि अब से चीता पवन को 2 मादा चीता के साथ बाड़े में रखेंगे.

cheetah pawan oban brought to enclosure
अब बाड़े में ही रहेगा चीता पवन

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Published : Apr 25, 2023, 10:47 AM IST

भोपाल।कूनो नेशनल पार्क से भागकर बार-बार रिहायशी इलाकों के पास पहुंच रहे चीता पवन(ओबान) को अब बाड़े में ही रखा जाएगा. चीता पवन को पिछले दिनों ट्रेकुलाइज कर वापस बाड़े में लाया गया है, लेकिन अब इसे कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में नहीं छोड़ा गया, बल्कि बड़े बाड़े में बंद कर दिया गया है. चीता पवन बार-बाप भाग कर रिहायशी इलाके के पास पहुंच जाता है, इसके चलते अब उसे बाड़ें में 2 मादा चीता के साथ रखा गया है.

इसलिए लिया गया निर्णय:चीता पवन को बड़े बाड़े में रखने की फैसले के पीछे बड़ी वजह उसके बार-बार रिहायशी इलाकों के पास पहुंचना है. चीता पवन को 21 मार्च को बाड़े से निकालकर खुले जंगल में छोड़ा गया था, इसके बाद से ही पवन बार बार जंगल से सटे रिहायशी इलाकों के पास पहुंच जाता है. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक "आमतौर पर जंगली जानवर इंसानी गतिविधियों को देखकर वहां से वापस जंगल में लौट आते हैं, लेकिन चीता पवन के साथ ऐसा नहीं है. वह पिछले दिनों गांव के नजदीक पहुंच गया था, लोगों की चहलकदमी के बाद भी वह दूर खेत में बैठा रहा. मवेशियों के शिकार के लालच में वह खेत में ही शाम तक बैठा रहा, आशंका जताई जा रही थी कि वह रात में गांव में पहुंच सकता है. बाद में वन विभाग की टीम जब वहां पहुंची थी तो इस बार चीता जंगल की सीमा को पार कर शिवपुरी और झांसी के बार्डर की तरफ बढ़ रहा था. बार-बार रिहायशी क्षेत्र में जाने के चलते इसे वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज किया गया और अब उसे बाड़े में बंद किया गया है."

इन खबरों पर भी एक नजर:

क्या कहते हैं विशेषज्ञ:हालांकि वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. सुदेश वाघमारे का कहना है कि "कूनो में पर्याप्त संख्या में शिकार के लिए छोटे जानवर मौजूद हैं. हालांकि वन्य जीव आमतौर पर मवेशियों के शिकार के लालच में ग्रामीण इलाकों के आसपास तक पहुंच जाते हैं, लेकिन टाइगर ग्रामीण क्षेत्र में अंदर नहीं पहुंचता. आमतौर पर चीते के साथ भी ऐसा ही होता है, लेकिन इसके व्यवहार को समझना होगा कि आखिर यह बार-बार ग्रामीण इलाकों के आसपास क्यों पहुंच रहा है."

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