भोपाल। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के सिरोंज में स्थित 300 साल पुराना मुगलकालीन अनोखा बाजार स्थित है. सिरोंज में तीन मंजिला बाजार की विशेषता ये थी कि यहां से पैदल चलने वाले, घोड़े पर सवारी करने वाले और ऊंट, हाथी पर बैठे लोग भी खरीदारी कर सकते थे.
सिरोंज में स्थित मुगलकालीन तीन मंजिला बाजार का बदला स्वरूप - भोपाल न्यूज
विदिशा जिले के सिरोंज में स्थित 300 साल पुराने मुगलकालीन बाजार की स्थिति अब बदल गई है. ये बाजार पुराने समय में सीधा गुजरात के बंदरगाह से जुड़ा था.
विदिशा जिले का सिरोंज मुगलकालीन समय का बड़ा व्यापारिक केंद्र था. ये सीधे गुजरात के बंदरगाह से जुड़ा था. यहां की वातानुकूलित बर्तन और बुनी हुई चटाईयां पूरे देश में प्रसिद्ध थीं. सिरोंज की टकसाल मुगलकालीन टकसालों में मुख्य थी, सिरोंज में मलमल और छींट उज्जैन के कपड़े का भी निर्यात किया जाता था. दिल्ली और गुजरात के बीच मध्ययुगीन व्यापार मार्ग के बहुत करीब होने के कारण सिरोंज में व्यापारियों की भी काफी संख्या थी. सिरोंज की मुख्य फसलें, गेहूं, मक्का और मॉनसून के दौरान सोयाबीन और मसूर की फसल होती थी. सिरोंज और विदिशा के गेहूं पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. दिल्ली और पूरे भारत के बाजारों में अधिक कीमतों पर बेचे जाते हैं, इस क्षेत्र में पैदा सोयाबीन इंदौर और दतिया में स्थित सोया तेल उद्योग की रीढ़ भी है.
सिरोंज का तीन स्तरीय बाजार हालांकि अब अपना स्वरूप बदल चुका है. पहले यहां लगभग 150 दुकानें हुआ करती थीं. अब करीब 50 से 60 दुकानें ही दिखाई देती हैं, लेकिन ये बाजार आज भी सिरोंज की पहचान है.