Chandrayaan-3 Project Director वीरामुथुवेल ने भोपाल में चंद्रयान की सफलता व समस्याओं को सिलसिलेवार साझा किया
चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल ने भोपाल में अपने अनुभवों को साझा किया. उन्होंने चंद्रयान-3 ही सफलता के बारे में और उससे जुड़ी कठिनाइयों के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा है चंद्रयान को लॉन्च करने में सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उसे साल में कभी भी लॉन्च नहीं किया जा सकता था. इसे सिर्फ सालभर में दो ही मौका पर लॉन्च किया जा सकता था. जिसमें जुलाई का महीना बेहतर था.
चंद्रयान की सफलता व समस्याओं को विस्तार से साझा किया
चंद्रयान की सफलता व समस्याओं को विस्तार से साझा किया
भोपाल।चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल ने बताया कि जब इसके लांचिंग की बात चल रही थी तो सबसे मुश्किल काम, इसका महीना और तारीख डिसाइड करना था. साल में दो ही मौके पर इसे लॉन्च किया जा सकता था. उसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. क्योंकि पृथ्वी और चंद्रमा दोनों के वातावरण और वायु को ध्यान में रखते हुए इसे एक निश्चित मौके और समय पर ही लॉन्च करना था.
रोवर पर थीं सबकी निगाहें :वीरामुथुवेल ने बताया कि चंद्रयान3 की लैंडिंग के साथ ही रोवर से मिलने वाली तस्वीरों पर हर किसी का ध्यान था. रोवर कैसी तस्वीर भेजेगा और सही तरीके से वह तस्वीर आ पाएंगी या नहीं. या कैसी और क्या स्थिति वहां पर बनेगी, इन सभी बातों को लेकर हर किसी के मन में एक अलग ही जिज्ञासा बनी हुई थी. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल भोपाल में चल रहे विज्ञान मेले में शामिल होने आए थे.
चंद्रमा पर क्या-क्या मॉलेक्युलिस :वीरामुथुवेल ने बताया कि जब हम रोवर की तस्वीर दिखा रहे थे तब अधिकतर वहां मौजूद लोगों के रोंगटे तक खड़े हो गए. हम चंद्रमा पर पानी और मॉलेक्युलस ढूंढ रहे हैं. चंद्रयान 3 को भेजने का मुख्य उद्देश्य भी यही है कि आखिर चंद्रमा पर क्या-क्या मॉलेक्युलिस मौजूद हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या मंगल के साथ चंद्रमा पर आने वाले समय में पृथ्वी से लोग जाकर रह भी सकेंगे, क्या इस पर भी रिसर्च की जा रही है तो इस पर उनका कहना है इसको लेकर हमारा वैज्ञानिक उद्देश्य है. साथ ही दोनों जगह पर मकसद अलग-अलग हैं. क्योंकि हर प्रोजेक्ट किसी न किसी मकसद से बनाए जाते हैं.
चंद्रयान की सफलता से बच्चे उत्साहित :वीरामुथुवेल ने बताया कि चंद्रयान को लेकर सबसे ज्यादा बच्चों के मन में जिज्ञासा देखने को मिली है. चंद्रयान की लांचिंग के बाद से ही इसरो में लगातार बच्चों के ईमेल और मैसेज आ रहे हैं. इसमें हर बच्चा इसकी लांचिंग के बारे में जानना चाहता है. स्कूल कॉलेज के बच्चे इसमें सबसे ज्यादा है और हमारा भी उद्देश यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग साइंस से जुड़ें और इसके बारे में समझें. वीरामुथुवेल ने बताया कि जब चंद्रयान 2 का सफल परीक्षण नहीं हो पाया था तो मैं उसको लेकर काफी उदास था. किन उसमें जो कमियां थीं, उससे हमने बहुत कुछ सीखा और लगभग 4 साल तक टीम के कई लोग लगातार इसरो में ही रहकर चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट पर काम करते रहे. फिलहाल अब 22 सितंबर का इंतजार है क्योंकि 22 सितंबर को सूर्य की रोशनी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेंगी और तभी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की पहली प्रतिक्रिया का पता चल पाएगा.