भोपाल। जिले की बैरसिया न्यायालय ने 35 वर्ष पुराने प्रकरण में किसान विपणन सहकारी संस्था में सोयाबीन की खरीदी के संबंध में फर्जी दस्तावेज और बिल बनाकर 2 लाख 80 हजार 867 रूपये की धोखाधड़ी करने वाले सहकारी संस्था के कर्मचारी रतनलाल जैन को दो वर्ष की सजा दो हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है. प्रकरण में अन्य आरोपी श्रीकृष्ण शास्त्री, एनके जैन और ओमसिंह की मृत्यु विचारण के दौरान हो चुकी है. जबकि अन्य चार आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया है.
शासन की ओर से पैरवी करने वाले अभियोजन अधिकारी एडीपीओ मिथलेश चौबे ने बताया कि फरियादी गोविंदराम मोटवानी ने थाना बैरसिया में रिपोर्ट लेख कराई कि वह सहकारिता विभाग में सहकारी निरीक्षक के पद पर पदस्थ है. और कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्था जिला भोपाल के आदेश के अनुसार किसान विपणन सहकारी संस्था मर्यादित बैरसिया के प्रभारी अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है.
संस्था के अंकेक्षक वीएल तिवारी द्वारा प्रस्तुत अंकेक्षण आपेक्ष प्रतिवेदन वर्ष 85-86 तथा संस्था के अभिलेखों के मिलान करने एवं उनका प्रमाण आदि से परीक्षण करने से संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष एस सिंह एवं संचालक श्रीकृष्ण शास्त्री तथा कर्मचारीगण एनके. जैन(तत्कालीन प्रबंधक), राजकुमार शर्मा, प्रेमसिंह, ओमसिंह, रतनलाल जैन तथा जगदीश प्रसाद शर्मा द्वारा राशि रूपये 2,80,876-18 पैसे का गबन करने के लिए उनकी रिपोर्ट में दोषी पाए गए है.
इनमें से राजकुमार शर्मा द्वारा अपना अपराध लिखित रूप से कबूल किया जाकर दिनांक 29.01.86 को व 31.01.86 को क्रमश: 15हजार रूपये व 20735 रूपये, इस प्रकार कुल राशि 35,735 रूपये संस्था में जमा की जा चुकी है. उपरोक्त वर्णित व्यक्तियों द्वारा संस्था की गबन की गई राशि का स्वयंहित में दुरूपयोग किया गया है. इस प्रकार शासकीय नियमों के तहत पंजीकृत संस्था की राशि का गबन कर उसका दुरूपयोग करने के कारण उपरोक्त पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण दोषी है. इनके द्वारा उक्त राशि का गबन करने के प्रयोजन हेतु कई अनुचित तरीके अपनाये गये है.
जैसे कि वास्तविक खरीदी से अधिक खरीदी दर्शाकर, पंजी खरीदी की बाला-बाला पर्चियां (बिल) काटकर एक-दूसरे के सहयोग से भुगतान प्राप्त करना, एक ही क्रमांक की पर्ची के क्रमांक का बार-बार हवाला देकर वास्तविक भुगतान से अधिक भुगतान दर्शाकर राशि प्राप्त करना, एक से अधिक फर्जी नामों से राशि का भुगतान दर्शाकर, पर्ची काटने के बाद उसमें पूर्व दर्शायी गई वस्तु की मात्रा एवं राशि में फेरबदल कर वास्तविक भुगतान योग्य राशि से अधिक भुगतान दर्शाकर एवं अपराध से संबंधित सबूतो को मिटाने एवं एक-दूसरे की आपराधिक गतिविधियों पर पर्दा डालने की कोशिश करना शामिल है.