भोपाल। नदियों पर बने पुराने बांध प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए खतरा पैदा (dam need maintenance) कर सकते हैं. हाल ही में पुराने बांधों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजिंग वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट में भी 50 साल पुराने (50 dam complete there life) बाधों को लेकर खतरा जताया गया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश में 906 बड़े बांध हैं, इसमें से 28 बांध 50 साल से ज्यादा की उम्र पूरी कर चुके हैं, जबकि प्रदेश में 62 बांध ऐसे भी हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. दूसरी तरफ बांधों के रखरखाव को लेकर कैग भी सवाल उठा चुका है. ऐसे देखरेख और रखरखाव में लापरवाही से बूढ़े हो चुके ये बांध आसपास रहने वाली एक बड़ी जनसंख्या के लिए यह मुसीबत बन सकते हैं.
28 बांधों की उम्र 50 से ज्यादा
मध्यप्रदेश में पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाए गए बांधों की संख्या करीबन 4523 बांध हैं. इनमें से 906 बांध बड़े हैं. इनमें से 100 बांध ऐसे हैं, जो 25 साल पुराने जबकि 50 साल उम्र पूरे कर चुके बांधों की संख्या करीबन 28 है. प्रदेश में 62 बांध ऐसे हैं, जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं. इन उम्रदराज बांधों की लिस्ट में सबसे ऊपर ग्वालियर जिले का टेकनपुर बांध है, जो 127 साल पुराना है. इसकी ऊंचाई 16.47 मीटर है. इसे 1895 में बनाया गया था
यह है प्रदेश के सबसे पुराने बांध
बांध | वर्ष |
टेकनपुर, डबरा | 1895 |
सारा, मुडवारा | 1896 |
जवाहरगढ़, सबलगढ़ | 1899 |
खानपुरा, चाचैडा | 1907 |
दिनारा, करैरा | 1907 |
बीरपुर, विजयपुर | 1908 |
अंतलवास, खाचरौद | 1908 |
बेलगांव, बैहर | 1909 |
वासिनखर, बैहर | 1909 |
लोकपाल सागर, पन्ना | 1909 |
कमेरा, सबलगढ़ | 1910 |
कोटा, जौरा | 1910 |
तिघरा डेम, ग्वालियर | 1917 |
हरसी, करैरा | 1917 |
बांध पुराने, मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं, लापरवाही की हद
इतने पुराने डेम होने के बाद भी इनके नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस को लेकर लापरवाही सामने आती रही है. सीएजी की रिपोर्ट में भी इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 906 बड़े और 3617 छोटे बांध को मिलाकर 4523 बांध हैं, लेकिन स्टेट डेम सेफ्टी आर्गेनाइजेशन द्वारा सिर्फ अब तक सिर्फ 510 बांधों का ही इंस्पेक्शन किया गया है.
ज्यादा बारिश से बढ़ जाती है चिंता
विशेषज्ञों की मानें तो मध्यप्रदेश में ज्यादातर बड़े बांध आजादी के बाद ही बने हैं. बड़े बांधों की लाइफ 100 साल की होती है, लेकिन जिस तरह से बारिश का पैटर्न बदला है, उससे बांधों पर दवाब बढ़ा है. जल संसाधन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी और डेम सेफ्टी माॅनीटरिंग के चेयरमेन एसके खरे के मुताबिक बांधों का निर्माण ही अगले 100 सालों के हिसाब से किया जाता है. अधिकांश बांध इससे भी लंबे समय तक चलते हैं, लेकिन बारिश का बदला पैटर्न चिंता बढ़ा रहा है.
इसका उदाहरण पिछले सालों में ग्वालियर चंबल संभाग में हुई भारी बारिश है और उसके पहले होशंगाबाद संभाग में भी इसी तरह का हालात बन चुके हैं, हालांकि इसको लेकर फ्लड माॅनिटरिंग सिस्टम को विकसित किया गया है. साथ ही डेम के मेंटेनेंस के लिए पूर्व में 549 करोड़ रुपए एप्रूव किए गए थे, जिसके दूसरे चरण का काम किया जा रहा है. रिटायर्ड चीफ इंजीनियर कमलेश खरे के मुताबिक बांधों को इनकी नियमित निरीक्षण और मरम्मत की बेहद जरूरत है, क्योंकि साल दर साल यह कमजोर होते जाते हैं.
सीएजी ने भी जताई थी आपत्ति
मध्यप्रदेश के कई बांधों की उम्र और मेंटेनेंस को लेकर कैग भी अपनी रिपोर्ट में चिंता जता चुका है. कैग की रिपोर्ट में मंदसौर जिले में चंबल नदी पर बने गांधी सागर बांध की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. 1960 में बने गांधी सागर राष्ट्रीय महत्व के पांच जलाशयों में से एक है. 23 दिसंबर 2021 को जारी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में गांधी सागर बांध को तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई गई है.