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मजदूरों की मजबूरी, घर तो लौट आए, पर घर चलेगा कैसे, रोजगार नहीं मिलता

बुंदेलखंड अंचल में भी दूसरे प्रदेशों से मजदूरों की लगातार वापसी हो रही है. लेकिन घर आने वाले इन मजदूरों का कहना है कि, जब भी हालात सामान्य होंगे. हमें उन्ही शहरों के लिए वापस जाना होगा. क्योंकि यहां हमे रोजगार मिलता नहीं है. इसलिए मजबूरी में वापस जाना होगा.

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दमोह न्यूज

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Published : May 9, 2020, 6:21 PM IST

दमोह। लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों से प्रदेश के मजदूरों की लगातार वापसी हो रही है. बुंदेलखंड अंचल के मजदूर भी लगातार वापस आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने इन मजदूरों की मजबूरी जानने की कोशिश की, तो पता मजदूर मजबूरी के चलते अपने घरों की ओर वापस तो आ गए हैं, लेकिन वे खुश नहीं है. क्योंकि उन्हें हालात सामान्य होने के बाद एक बार फिर उन्हीं शहरों का रुख करना होगा, क्योंकि यहां उनकों मजदूरी मिलती नहीं है. जिससे उनका घर नहीं चलता.

लगातार हो रही मजदूरों की घर वापसी

मजदूर कहते हैं कि मजबूरी में घर तो लौट आए हैं, लेकिन मजबूरी में घर छोड़कर उन्हीं शहरों की ओर एक बार फिर जाना होगा. यहां रोजगार के कोई साधन नहीं है. मजदूरों का कहना था कि लॉकडाउन के पहले उन्होंने जो पैसा इक्कठा किया था. वह लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गया. ऐसे में मजबूरी बस उन्हें लौटना ही पड़ा. क्योंकि बीमारी भी बढ़ती जा रही थी. इसलिए गांव और घर सुरक्षित लगा तो लौट आए. लेकिन यहां भी कितने दिन रह पाएंगे.

लगातार हो रही मजदूरों की घर वापसी

हालात सामान्य होने पर करनी पड़ेगी वापसी

मजदूरों ने कहा कि, किसी को भी अपना घर छोड़कर दूसरे शहर जाना अच्छा नहीं लगता. पेट की मजबूरी के चलते उन्हें दूसरे शहर जाना पड़ता है. क्योंकि वहा पैसा अच्छा मिलता है. भले ही अभी घर आ गए हैं. लेकिन जब लॉकडाउन खुलेगा तो एक बार फिर हमे वही वापस जाना होगा. क्योंकि न तो यहां रोजगार है और न ही मजदूरी अच्छी मिलती है. यह कसक एक महिला मजदूर की थी. उसका कहना है कि, वो मजबूर है, क्योंकि यहां मजदूरी मिलती नहीं और वहां मजबूरी में मजदूरी करनी होती है.

14 दिन रहना पड़ेगा होम क्वारेनटीन

दिल्ली सहित आसपास के महानगरों और अन्य प्रदेशों के महानगरों से यह मजदूर अपना काम छोड़कर आ गए हैं. काम के अभाव में दो वक्त की रोटी खाने के लिए जरूर अपने घरों को लौट आए हैं, लेकिन इनका दिल अभी भी उन्हीं महानगरों में बसता है. जहां पर उनको मजदूरी मिलती है और उनके परिवार का घर चलता है.

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