भोपाल। मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को 28 सीटों पर उपचुनाव होने के बाद 10 नवंबर को होने वाली मतगणना का बेसब्री से इंतजार है. मतदान और मतगणना के बीच के अंतर में सियासी मुलाकातें और सियासी हलचल कई तरह के संकेत दे रही हैं. इस बीच बसपा विधायक संजीव कुशवाह ने शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री भूपेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह से मुलाकात की है. इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. मुलाकात के बाद बसपा विधायक संजीव कुशवाह ने ईटीवी भारत से बात की.
संजीव कुशवाह ने ईटीवी भारत से की बात क्षेत्र के विकास को लेकर हुई मुलाकात
विधायक संजीव कुशवाह ने मंत्री भूपेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह से मुलाकात को लेकर कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए हम लगातार मंत्री और मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं. भूपेंद्र सिंह नगरीय प्रशासन मंत्री हैं, हमारे क्षेत्र के विकास कार्य चुनाव के कारण अटके पड़े हुए थे. उसी संबंध में मुलाकात करने गए थे.
खुद जीतने के लिए लड़ती है बीएसपी
बसपा द्वारा पहली बार उपचुनावों में अपने प्रत्याशी उतारने के सवाल और राजनीतिक गलियारों में बीजेपी को फायदा पहुंचाने की अटकलों के सवाल पर विधायक ने कहा कि बसपा किसी को फायदा पहुंचाने या नुकसान के लिए चुनाव नहीं लड़ती है. बीएसपी जीतने के लिए चुनाव लड़ती है. इन 28 सीटों पर जो चुनाव हुए हैं, इसी से सरकार की दिशा तय होनी है. इसलिए बीएसपी इन सभी सीटों पर चुनाव लड़ी. बीएसपी चुनाव जीतने के लिए लड़ी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों से नाराज थी. बीएसपी बहुत अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है.
निर्णायक भूमिका में होगी बसपा
उपचुनाव के परिणाम को लेकर संजीव कुशवाह ने कहा कि बीएसपी निर्णायक भूमिका में उभर कर सामने आने वाली है. निश्चित तौर पर बसपा तीसरी ताकत के रूप में सामने आएगी. कांग्रेस की सरकार बनने पर कांग्रेस को समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह फैसला बसपा सुप्रीमो मायावती करेंगी.
बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बसपा
खास बात यह है कि चंबल की 16 सीटों में 11 सीटें ऐसी हैं जहां बीएसपी के उम्मीदवार कभी न कभी जीत दर्ज कर चुके हैं. यहां भारी संख्या में अनुसूचित जाति के वोटर और इलाका यूपी से सटा है. इसलिए बीएसपी का यहां दबदबा माना जाता है. यही कारण है कि यहां से पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. लिहाजा बीजेपी या कांग्रेस के लिए यहां बसपा वोट कटवा का काम कर सकती है. दूसरी तरफ कई बागी निर्दलीय मैदान में उतरे थे,वह भी कुछ ऐसी निर्णायक मत हासिल कर सकते हैं. जो कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकते हैं. इन्हीं कारणों से करीब पांच सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं, जो अप्रत्याशित परिणाम दे सकते हैं.
जौरा सीट पर था त्रिकोणीय मुकाबला
कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण खाली हुई सीट पर जहां बीजेपी ने पूर्व विधायक सूबेदार सिंह को मैदान में उतारा था तो कांग्रेस ने नए चेहरे पंकज उपाध्याय को टिकट देकर ब्राह्मण बाहुल्य सीट का समीकरण अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी, लेकिन पूर्व विधायक सोने राम कुशवाह के बसपा से उतरने के कारण यहां त्रिकोणीय मुकाबला बना.
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भांडेर सीट पर भी रहा त्रिकोणीय मुकाबला
इस सीट पर कभी बहुजन समाज पार्टी का हिस्सा रहे बहुजन संघर्ष दल के संस्थापक फूल सिंह बरैया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में थे. इसी बात से नाराज होकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा से टिकट लेकर चुनाव मैदान में कूद पड़े थे. भाजपा से रक्षा सनोरिया चुनाव मैदान में थीं. दल बदल के कारण भाजपा के प्रत्याशी से मतदाताओं की नाराजगी थी तो ब्राह्मण मतदाता फूल सिंह बरैया के विरोध में देखने मिले, लेकिन पूर्व गृह मंत्री महेंद्र बौद्ध बसपा के टिकट पर लड़कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब रहे.
मुरैना में राजोरिया ने बिगाड़ा कांग्रेस और बीजेपी का गणित
मुरैना सीट से मिल रहे अनुमानों पर गौर करें तो बसपा के प्रत्याशी रामप्रकाश राजोरिया काफी मजबूत स्थिति में नजर आए. चर्चा तो यहां तक है कि अगर रामप्रकाश राजोरिया को ब्राह्मण मतदाताओं का साथ मिल गया. तो वो जीत के दावेदार हो सकते हैं. इस सीट से कांग्रेस के राकेश मावई और भाजपा के रघुराज कंसाना चुनावी मैदान में थे.खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी दोनों गुर्जर होने के कारण गुर्जर मतदाताओं की वोट बंट सकती है.
मेहगांव में जातिगत समीकरणों में उलझा चुनाव
मेहगांव से अटेर के पूर्व विधायक हेमंत कटारे को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारा था. ऐसी स्थिति में हेमंत कटारे को अपनी ही पार्टी से नुकसान की आशंका सता रही थी, तो दूसरी तरफ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे योगेश नरवरिया ने मुकाबले को रोचक बना दिया और वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों की वोट काटते नजर आए. इस सीट पर भाजपा के टिकट पर सिंधिया समर्थक मंत्री ओपीएस भदौरिया चुनाव लड़े. तीनों प्रत्याशी त्रिकोणीय संघर्ष में अपनी जीत की उम्मीद लगा रहे हैं.
अंबाह सीट पर रहा चतुष्कोणीय मुकाबला
अंबाह सीट पर भाजपा से कांग्रेस के बागी कमलेश जाटव मैदान में थे, तो कांग्रेस ने बसपा से पूर्व विधायक रहे सत्य प्रकाश सखवार को मैदान में उतारा था. वहीं बीएसपी से भानु प्रताप सिंह सखवार मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश में नजर आ रहे थे, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी अभिनव छारी ने इस मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाकर सबको सोचने में मजबूर कर दिया. तमाम जातिगत समीकरण उलझे हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में अप्रत्याशित परिणाम की संभावना नजर आ रही है.