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'ब्रेल' की आंखों से देखे सपने को किया साकार, अपनों का आशीष ले चलीं 'ये काबिल दुल्हनें 'ससुराल - सोशल वेलफेयर सोसाइटी

आंखें नहीं हैं लेकिन जज्बे में कोई कमी नहीं है. मेहनत कब जाया जाती है. इंदौर के एक सामाजिक कल्याण संघ ने देखने में लाचार युवतियों को पढ़ाया लिखाया और पूरे धूमधाम के साथ दूल्हे के साथ विदा किया.

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सामूहिक विवाह

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Published : Jun 29, 2021, 3:03 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 12:18 PM IST

इंदौर। सपने देखने के लिए खुली आंखों की जरूरत नहीं होती बल्कि मन की आंखें ही काफी होती हैं. सरिता भगोड़े, सुनीता अजनार, सारिका मिश्रा और भारती ने मन की आंखों से ख्वाब देखे, ब्रेल पर हाथ चलाया और अपने कल को निखार लिया. ये जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया ही था जो इन चारों युवतियों ने हार नहीं मानी, रार ठानी और मेहनत के बूते इनमें से तीन सरकारी अमले में एक खास मुकाम हासिल कर लिया. वो एक पड़ाव था और अब जीवन में अगला अध्याय जोड़ लिया. विवाह के अटूट बंधन में बंध गईं हैं. इन्हें सबल दिया शहर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ ने.

धूमधाम से किया विवाह.

अनाथ होने का दंश गहरा होता है. इस दंश को सहते हुए ये आगे बढ़ीं. मेहनत को जाया नहीं किया और कुछ अपने जैसे गैरों का साथ पाया तो तकदीर बदलने का हैसला बुलंद हुआ. खूब पढ़ी लिखीं और बड़े ओहदों पर काबिज हो गईं. संस्थान संचालक बताते हैं कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से यहां लाकर भर्ती की गई छात्राओं ने यहीं से पढ़ लिखकर इतनी मेहनत की कि योग्य युवाओं ने सामने से आकर इनका हाथ थाम लिया. तीन तो सरकारी नौकरी में हैं वहीं एक प्रतियोगी छात्रा है. चारों की कल्याण संघ में ही धूमधाम से शादी हुई.

काबिल हैं दूल्हे

इन युवतियों का हाथ भी काबिल युवकों ने थामा है. सभी मेहनत और काबिलियत के बल पर जीवन यापन कर रहें हैं. इनमें से एक सुरेंद्र सिंह चुंडावत आंशिक दृष्टिहीन हैं और सामाजिक न्याय विभाग में कर्मचारी हैं. जबकि श्याम उइके पशु चिकित्सालय विभाग में नौकरी करते हैं. वहीं, सौरभ उसरेट बैंक के कर्मचारी हैं जो अपने ही तरह की दुल्हन पाकर खासे खुश हैं.

सामाजिक न्याय विभाग इस तरह करेगा मदद
इन दृष्टिहीन वर वधू में लोंग सिंह कनेश सामान्य है इसलिए विभाग की योजना के अंतर्गत 2 लाख रुपए की मदद की जाएगी इसके अलावा दृष्टिहीन बंधुओं को विभाग की योजना के अंतर्गत एक लाख रुपए मिलेंगे. अपनी बेटियों की विदाई संस्था के साथी ऐसे ही नहीं करना चाहते. इसलिए पूरी शानो शौकत से आशीर्वाद स्वरूप उपहार दिए और नई नवेली गृहस्थी जमाने के साजो सामान भी भेंट किया. अपने आंगन में पली बढ़ी बेटियों को सम्मान के साथ गाड़ियों में विदा करना सबके लिए हर्ष का सबब था.

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जनता कर्फ्यू के बाद पहली शादी
महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में इसके पूर्व भी कई बालिकाओं की शादी हुई लेकिन पहली बार चार बेटियों की शादी जनता कर्फ्यू के बाद हुई.इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया साथ ही प्रोटोकॉल के अनुसार ही वर-वधू पक्ष के मेहमान भी आयोजन स्थल पहुंचे. मंगल गीत गाए और जोड़ों को आशीष दिया.

Last Updated : Jul 3, 2021, 12:18 PM IST

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