दिल्ली। देश में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस आतंक मचा रहा है. देश में अब तक ब्लैक फंगस के 40 हजार से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं. देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार कोरोना से ठीक हुए लोगों पर ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है.
40 हजार से ज्यादा केस मिले
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि देश में ब्लैक फंगस के 40,845 केस सामने आ चुके हैं. इनमें ज्यादातर मरीजों को पहले कोविड हो चुका था. स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार ब्लैक फंगस के 40,845 में से 34,940 मरीज ऐसे थे जिन्हें पहले कोविड हो चुका था. इनमें से 26,187 मरीज डायबिटीक थे. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ब्लैक फंगस से हुई मौतों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि देश में ब्लैक फंगस से अभी तक 3129 मरीजों की मौत हो चुकी है.
एक तरह का फफूंद है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (Black Fungus) का साइंटिफिक (Scientific) नाम म्यूकर माइकोसिस (Muker mycosis) या ब्लैक फंगस है. यह एक फफूंद की तरह होता है. ब्लैक फंगस वातावरण में पाये जाने वाले फफूंद की वजह से होता है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है।
कम प्रतिरोधक क्षमता वालों को होता है फंगस
अधिकतम यह कोरोना (Corona) से संक्रमित हुए मरीजों में होता है. ज्यादातर यह उन मरीजों में होता है, जिन्हें शुगर (Diabetes) की बीमारी हो या फिर उनकी प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कम हो. दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक (Attack) करता है, जिनकी इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर होती है. क्योंकि शुगर (Sugar) के मरीज लंबे समय से स्टेरॉइड्स (Steroids) का इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में ब्लैक फंगस को शुगर के मरीजों को अपना शिकार बनाना आसान हो जाता है.
इन परिस्थितियों में होता है ब्लैक फंगस
- जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हों.
- जो शुगर बीमारी से ग्रसित हों.
- जो लंबे समय से स्टेराइड ले रहे हों.
- जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो.
- जो लंबे समय से ऑक्सीजन पर हों.
- जिनका कैंसर का इलाज हो रहा हो.
- जिन्होंने शरीर का कोई अंग ट्रांसप्लांट (Transplant) कराया हो.