भोपाल।मध्यप्रदेश में 2013 से पहले सत्ता में वापसी को लेकर और कार्यकर्ताओं को खुश करने का टिफिन फार्मूला बीजेपी एक बार फिर आजमाने जा रही है. बीजेपी अपने सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ बड़े नेताओं को भोजन पर बैठक के जरिए कार्यकर्ताओं के असंतोष को थामने पर विचार कर रही है और इस तरह के आयोजन प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव से पहले करने की योजना है, जिससे इसका फायदा पार्टी को निकाय चुनाव में मिल सके.
BJP का टिफिन फार्मूला
मध्यप्रदेश में भोजन और बैठक के जरिए BJP कार्यकर्ताओं में असंतोष दूर करने को लेकर कवायद शुरू की जा रही है, ताकि कार्यकर्ताओं के बीच संवाद बढ़ाने और उनमें एकजुटता का भाव पैदा किया जा सके और इस को लेकर एक बार फिर विधायकों द्वारा टिफिन पार्टियां शुरू करने की तैयारियां की जा रही हैं. पार्टी ने अपने विधायकों से कहा है कि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता के घर जाएं और शाम का भोजन करें, जिससे वे कार्यकर्ताओं की समस्या सुनकर उसका निराकरण करने का प्रयास करें. इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि वे पार्टी की पुरानी टिफिन परंपरा को भी फिर से शुरू करें.
क्या है टिफिन फार्मूला
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टिफिन फार्मूला शुरू किया था और कैबिनेट की बैठक से इस फार्मूले का शुभारंभ किया गया था. टिफिन फार्मूले में बीजेपी के नेता अपने दौरे या बैठकों में अपने साथ टिफिन लेकर जाते हैं और बैठक में सभी शामिल कार्यकर्ता भी अपने घर से टिफिन लेकर आते हैं और सामूहिक भोजन कर एक दूसरे का टिफिन शेयर करते हैं. इस दौरान सबकी एक दूसरे से बातचीत भी होती है और भावनात्मक जुड़ाव भी पार्टी के प्रति बढ़ता है, यही वजह है कि पार्टी एक बार फिर कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने के लिए और उनके समस्याओं के निवारण को लेकर टिफिन फार्मूला शुरू कर रही है.
BJP में अंसतोष खुलकर सामने आने लगा है- कांग्रेस
बीजेपी के टिफिन फार्मूले को लेकर कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए कहा है कि बीजेपी के अंदर असंतोष खुलकर सामने आ रहा है, कभी कोई नेता ट्वीट कर पार्टी पर निशाना साधते हैं तो कभी कोई पंछी को फड़फड़ाने की बात कहते हैं, मतलब पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, यही कारण है कि बीजेपी अब टिफिन के बहाने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन वह सफल नहीं हो पाएगी.
निकाय चुनाव से पहले BJP के दिग्गज करेंगे मंथन
2018 विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब पार्टी का सबसे बड़ा फोकस निकाय चुनाव है और यही वजह है कि बीजेपी स्टेशन फार्मूले के जरिए अपने कार्यकर्ताओं में उपजे असंतोष को थाम कर कार्यकर्ताओं को एक बार फिर मजबूती के साथ पार्टी के प्रति भावनात्मक रूप से जोड़कर, निकाय चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश में है. अब देखना यही होगा कि बीजेपी का यह टिफिन फार्मूला कितना सफल होता है.