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भोपाल में युवा मोर्चा ने फूंका गोविंद सिंह का पुतला, नेता प्रतिपक्ष बोले- BJP तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही बयान

BJP युवा मोर्चा ने विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का पुतला जलाया. भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर बड़ी संख्या में युवा मोर्चा की कार्यकर्ता एकत्रित हुए और उसे आग के हवाले कर दिया. रानी कमलापति पर दिए उनके बयान पर बीजेपी युवा मोर्चा ने गोविंद सिंह से माफी की मांग की है.

bjp yuva morcha burnt effigy of dr govind singh
भाजपा युवा मोर्चा ने डॉ गोविंद सिंह का पुतला फूंका

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Published : Apr 16, 2023, 7:01 PM IST

भोपाल।नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह विधानसभा में अपने बयान पर घिरते हुए नजर आ रहे हैं.बीजेपीयुवा मोर्चा ने गोविंद सिंह पर रानी कमलापति का अपमान करने का आरोप लगाया है. भोपाल के रोशनपुरा चौराहा पर युवा मोर्चा ने गोविंद सिंह का पुतला जलाया. युवा मोर्चा ने गोविंद सिंह से अपने बयान पर माफी मांगने की मांग की है. युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं का कहना था कि जिस तरह से गोविंद सिंह ने बयान दिया है वह आदिवासी और गौड़ समाज का अपमान है. इसको लेकर गोविंद सिंह को माफी मांगनी चाहिए अन्यथा उनके खिलाफ लगातार सड़कों पर उग्र प्रदर्शन किया जाएगा.

उग्र प्रदर्शन की चेतावनी: BJP युवा मोर्चा ने कहा कि रानी कमलापति शौर्य और साहस व बलिदान के रूप में जानी जाती हैं और उनका अपमान कर कर गोविंद सिंह ने ना केवल स्त्री जाति का अपमान किया है बल्कि आदिवासियों का भी अपमान किया है. युवा मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि गोविंद सिंह के बयान को लेकर प्रदेश भर में उनके पुतले दहन किए गए हैं. साथियों माफी नहीं मानते तो यह प्रदर्शन लगातार जारी रहेंगे.

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नेता प्रतिपक्ष ने दी सफाई: इधर अपने बयान और उसको लेकर बीजेपी के विरोध को देखते हुए गोविंद सिंह ने एक बयान जारी किया है जिसमें उनका कहना था कि उन्होंने जो बोला है उसको तोड़ मरोड़ कर बीजेपी प्रस्तुत कर रही है. उन्होंने तो सिर्फ इतना कहा था कि बीजेपी को 18 साल बाद रानी कमलापति की याद क्यों आई और हबीबगंज स्टेशन का नाम बदला गया. इस बयान को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया. अंबेडकर जयंती पर गोविंद सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो बोल रहे थे रानी कमलापति को कोई नहीं जानता, बीजेपी कहां-कहां से ये नाम ढूंढ कर ले आती है. दरअसल इसी साल मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल आदिवासी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आदिवासी वोटरों को नाराज नहीं करना चाहते.

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