भोपाल। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कमलनाथ का गढ़ मानी जाती रही है. कमलनाथ यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में चली भाजपा की आंधी के बीच कांग्रेस जिस एकमात्र लोकसभा सीट को बचा पाई थी, वह छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र ही था, जहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे.
अगर कांग्रेस जीती तो कमलनाथ होंगे मुख्यमंत्री:कमलनाथ 2019 में लोकसभा चुनाव इसलिए नहीं लड़ पाए थे, क्योंकि वह उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के छिंदवाड़ा विधान सभा से ही विधायक थे. कमलनाथ एक बार फिर से छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से ही विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं, यानी अगर कांग्रेस जीतती है तो राज्य के अगले मुख्यमंत्री कमलनाथ ही होंगे.
भाजपा की विपक्ष के बड़े नेताओं को घेरने की कोशिश:कमलनाथ और कांग्रेस की तैयारी के बीच भाजपा ने विपक्ष के बड़े नेताओं को घेरने और पार्टी के लिए कमजोर माने जाने वाली सीटों को जीतने के मिशन के तहत कमलनाथ को उनके ही गढ़ छिंदवाड़ा में घेरने की कोशिश शुरू कर दी है.
कमलनाथ तो लेकर भाजपा की रणनीति:दरअसल, भाजपा एक साथ दो मंसूबों को लेकर कमलनाथ के गढ़ में काम कर रही है. भाजपा का पहला मंसूबा तो यही है कि विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को छिंदवाड़ा में कड़ी टक्कर देकर उन्हें छिंदवाड़ा तक ही सीमित रखने की कोशिश की जाए, ताकि वह पूरे प्रदेश में बहुत ज्यादा ध्यान ना दे पाएं और भाजपा का दूसरा मकसद यह है कि विधानसभा चुनाव में बतौर विधायक भले ही कमलनाथ चुनाव जीत जाएंं, लेकिन पार्टी इस इलाके की अन्य विधानसभा सीटों पर इतनी तेजी से अपना जनाधार बढ़ाए, ताकि लोकसभा चुनाव में वह छिंदवाड़ा संसदीय सीट जीत सके.
कमलनाथ के गढ़ में हिंदुत्व और माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति :पार्टी का मकसद छिंदवाड़ा जीतना है, विधानसभा सीट नहीं तो लोकसभा ही सही और 2023 नहीं तो 2024 ही सही. इसके लिए भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिंदुत्व की रणनीति और माइक्रो मैनेजमेंट के अपने असरदार नुस्खे को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में आजमा रहे हैं.