भोपाल।जब बीजेपी की पहली सूची आई और उसमें उत्तर विधानसभा से आलोक शर्मा और मध्य विधानसभा से ध्रुुव नारायण सिंह के नाम आए तो यह साफ हो गया था कि बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेगी, मजबूत नाम ही मैदान में रहेंगे. इसके बाद सवाल यह उठे कि बाकी पांच सीटों में किसको टिकट दिए जाएंगे. तो उसका जवाब बीजेपी की चौथी सूची से सोमवार को मिल गया. इस सूची में नरेला विधानसभा से विश्वास सारंग, गोविंदपुरा से कृष्णा गौर को, हुजूर विधानसभा से रामेश्वर शर्मा को और बैरसिया विधानसभा से एक बार फिर विष्णु खत्री को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है.
चार लोगों के नाम रिपीट: कयास यह लगाए जा रहे थे कि विश्वास सारंग को छोड़कर बाकी तीन सीट पर फेर बदल हो सकता है. जैसे बैरसिया से विष्णु खत्री की बजाय वर्तमान नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी को मौका दिया जा सकता है. तो वहीं रामेश्वर शर्मा को इस बार दक्षिण पश्चिम विधानसभा भेजा जा सकता है और कृष्णा गौर का टिकट काटा जा सकता है. लेकिन अब इन सब बातों पर पूर्ण विराम लग गया है. अब सवाल यह की जिन टिकट के काटने की उम्मीद थी उन्हें रिपीट क्यों किया गया?
वर्ग वार टिकट देकर साधा गया है मतदाताओं को:जानकार बताते हैं कि भोपाल में टिकट वितरण से पूरे प्रदेश में एक मैसेज जाता है कि जातीय संतुलन कितना बनाया हुआ है? भोपाल में कायस्थ वर्ग का वर्चस्व है और विश्वास सारंग इसी वर्ग से आते हैं तो ऐसे में उनका टिकट निश्चित था. उनका टिकट मिलना इसलिए भी तय था कि वे जिस नरेला विधानसभा से लगातार जीत रहे थे हैं, वह भाजपा के लिए बेहद मुश्किल मानी जाती रही है. इसके बावजूद विश्वास सारंग यहां से जीतकर आते हैं ऐसे में उनके टिकट काटने का सवाल ही नहीं उठाता था. दूसरा नाम रामेश्वर शर्मा का है जिन्होंने हुजूर विधानसभा को चौतरफा मजबूत करके रखा है. रामेश्वर शर्मा ब्राह्मण वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन इससे ज्यादा उनकी छवि एक हिंदू नेता के तौर पर स्थापित है. हालांकि पिछली बार उनकी लीड काफी कम हो गई थी, इसके बावजूद क्षेत्र में उनका कोई बड़ा विरोध नहीं होने के कारण उनका टिकट यहां से लगभग तय था. अब बात करते हैं बैरसिया विधानसभा के विष्णु खत्री की तो विष्णु खत्री भी संघ की पसंद माने जाते हैं और क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं. बैरसिया विधानसभा में गुर्जर, मीणा और कुशवाहा वर्ग का वोट काफी बड़ी संख्या में है और तीनों ही वर्ग में विष्णु खत्री की तगड़ी पेठ बनी है. ऐसे में उनका टिकट काट कर पार्टी रिस्क नहीं लेना चाहती थी.