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मध्यप्रदेश में यात्राओं के जरिए राजनीति का नया दौर, OBC वोट बैंक को लुभाएगा सिंधिया का चॉकलेटी चेहरा, 2023 में मजबूत होगी दावेदारी

जन आशीर्वाद यात्रा में पार्टी हाईकमान ने प्रदेश बीजेपी के बड़े चेहरों को शामिल नहीं करते हुए ज्योदिरादित्य सिंधिया को बड़े चेहरे के तौर पर जगह दी है. यात्रा के जरिए पार्टी ने ज्योदिरादित्य सिंधिया को उन क्षेत्रों में भेजने का प्लान तैयार किया गया है जिनमें ओबीसी का अच्छा खासा वोट बैंक है. सिंधिया पिछड़े वर्ग से आते हैं और उनका चॉकलेटी चेहरा पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. उपचुनाव में पार्टी अपने इस प्लान का लिटमिस टेस्ट भी करने जा रही है.

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Published : Aug 14, 2021, 9:23 PM IST

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ध्यप्रदेश में यात्राओं के जरिए राजनीति का नया दौर

भोपाल।मध्यप्रदेश में अब यात्राओं के जरिए राजनीति हो रही है. इस कड़ी में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी का बड़ा चेहरा बन गए हैं. जिसे लेकर कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि क्या सिंधिया के जरिए केंद्र प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण तैयार करने के किसी प्लान पर काम रहा है. क्या आने वादे दिनों में मध्यप्रदेश की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में हो सकती है. मौजूदा हालातों को देखें तो आने वाले दिनों में यह संभावना सच भी साबित हो सकती है. जानिए इस रिपोर्ट में.

ओबीसी वोट बैंक को साधेंगे सिंधिया

जिस तरह से प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर सिंधिया आगे कर यात्राएं निकाले जाने की रणनीति तैयार की जा रही है उसे देखकर यही कहा जा सकता है पार्टी के बड़े नेता सिंधिया के साथ हैं. माना यह भी जा रहा है कि सिंधिया को आगे कर पीएम मोदी ने ओबीसी के बड़े वोट बैंक को साधने का जिम्मा महाराज को दिया है. यही वजह है कि जन आशीर्वाद यात्रा में प्रदेश बीजेपी के बड़े चेहरों को शामिल नहीं करते हुए ज्योदिरादित्य सिंधिया को बड़े चेहरे के तौर पर जगह दी गई है. यात्रा के जरिए ज्योदिरादित्य सिंधिया को उन क्षेत्रों में भेजने का प्लान तैयार किया गया है जिनमें ओबीसी का अच्छा खासा वोट बैंक है.

प्रदेश की 52 फीसदी आबादी पर है फोकस

यात्रा के मार्ग और जिन क्षेत्रों से यात्रा निकाली जाएगी उसे देखते हुए यह साफ कहा जा सकता है कि ओबीसी वोटर्स को बीजेपी के साथ बनाए रखने के इरादे से ही पार्टी हाईकमान ने सिंधिया को आगे किया है. यह आशीर्वाद भी उन्हीं क्षेत्रों में लेना है जहां पर ओबीसी वोट ज्यादा है. बीजेपी इस बात को जानती है कि अगर उसे फिर से सत्ता में वापस आना है तो उसे ओबीसी वोट बैंक की बहुत ज्यादा जरूरत है. सिंधिया ओबीसी हैं और इसी बात को देखते हुए पार्टी ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है. उनका चॉकलेटी चेहरा और महाराजा की छवि दोनों ही भीड़ जुटाई मानी जाती है. पार्टी का भी यही मानना है कि यह चेहरा जितना ज्यादा मैदान में दिखेगा, इसका जितना ज्यादा उपयोग होगा उसे वोट बैंक का उतना ही ज्यादा फायदा होगा. मध्य प्रदेश की 52 फ़ीसदी आबादी पर बीजेपी का सारा फोकस है. हाल ही में केंद्र सरकार ने ओबीसी की सूची राज्यों को तैयार करने के अधिकार दे दिए हैं जिसका बिल दोनों से सदनों से पास हो गया है. यही वजह है कि पार्टी ने सिंधिया के चेहरे को लोगों के बीच पहुंचाने का प्लान तैयार कर लिया है. इस जन आशीर्वाद यात्रा का फायदा पार्टी को उन क्षेत्रों में होगा जहां लोकसभा और विधानसभा के उप चुनाव होने हैं.

सिंधिया के गढ़ में कांग्रेस सक्रिय

ग्वालियर चंबल अंचल में आई बाढ़ के बाद कांग्रेस भी सिंधिया के गढ़ में सक्रिए होने का मौका नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस उन्हें उनके गढ़ में ही घेरे रहने की रणनीति पर काम कर रही है. यही वजह है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने कमलनाथ भी पहुंचे और दिग्विजय सिंह भी. इन दोनों नेताओं ने ग्राउंड पर जाकर लोगों से बातचीत कर उनका हाल भी जाना और मुद्दों को भी तलाशा. कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए टूटी सड़के, टूटे पुल-पुलिया की बात करते हुए लोगों को राहत पहुंचाने की मांग की. दिग्विजय सिंह तो वहां डेरा ही डाल चुके हैं. वे उन क्षेत्रों में भी पहुंचे जहां लोगों की फसलें बर्बाद हो गई हैं घर तबाह हो गए हैं. दिग्विजय ने सरकार से बाढ़ प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने की मांग भी की, लेकिन इस दौरान बीजेपी की तरफ से भ्रष्टाचार जैसे गंभीक मुद्दे पर कोई बयान नहीं आया. सिंधिया गढ़ में दिग्विजय सिंह की यह सक्रियता उनके पुराने फॉर्मूले लोगों के बीच जाकर संपर्क स्थापित करने को लेकर है. वे 2018 के चुनावों से पहले भी नर्मदा परिक्रमा यात्रा के जरिए भी कांग्रेस को मजबूती देते रहे हैं. वे सिंधिया के गढ़ में पुराने कांग्रेसी नेताओं को भी एकजुट करने में लगे हैं.

शिवराज 15 अगस्त के बाद करेंगे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के ग्वालियर चंबल के बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे के बाद शिवराज एक बार फिर एक्शन में दिखाई देने वाले हैं. उन्होंने ग्वालियर चंबल संभाग के अधिकारियों, जिला कलेक्टर और एसपी सहित मैदानी अमले से जानकारी ली है. सीएम शिवराज सिंह चौहान 15 तारीख के बाद फिर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर राहत कार्यों का मुआयना करेंगे. बाढ़ प्रभावित इलाकों में शिवराज सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लोगों के बीच पहुंच चुके हैं. वे सीएम और नरेंद्र सिंह तोमर के लगातार संपर्क में हैं. सीएम भी चाहते हैं कि बाढ़ से जो नुकसान हुआ है उसका ब्यौरा जल्द से जल्द तैयार किया जाए. ताकि प्रभावितों को जल्द से जल्द मुआवजा दिलाया जा सके.

चुनाव हारे, अब मजबूत नेता

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से सांसद रह चुके हैं, हालांकि वे पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे. शायद यही वजह है कि वे खुद भी अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं. जानकारों की माने तो सिंधिया पिछड़े वर्ग से आते हैं. मौजूदा दौर में पार्टी का पूरा फोकस ओबीसी वोटबैंक पर है. इसे देखते हुए यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि 2023 में होने वाले प्रदेश विधानसभा के चुनावों की कमान सिंधिया को मिल सकती है. गौरतलब है कि शिवराज सिंह भी पिछड़े वर्ग से आते हैं, लेकिन 2018 के चुनावों से पहले एससी,एसटी एक्ट पर मचे बवाल और चौहान के बयानों से पार्टी को ग्वालियर चम्बल में काफी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. इसलिए ग्वालियर - चंबल संभाग को लेकर बीजेपी काफी सतर्क है. पिछली बार आरक्षण से सुलगे ग्वालियर चंबल में पार्टी को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, ग्वालियर चम्बल दोनों संभागों के 8 जिलों की 34 विधानसभा सीटों से 2013 में बीजेपी के पास 20 सीटें थी, जबकि 2018 के चुनाव में उसके महज 7 विधायक रह गए. 2018 के चुनावों कांग्रेस ने यहां बाजी मारी और उसके विधायकोंकी संख्या 12 से बढ़कर 26 विधायक हो गई. उपचुनावों में बीजेपी यहां से सिंधिया समर्थकों से ही उम्मीद थी. ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें बीजेपी को 16 में से 9 सीटें ही मिली, जबकि दूसरी जगहों की सभी 28 सीटों में बीजेपी ने 19 पर कब्जा किया. वहीं कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें आईं. यही वजह है कि ओबीसी वोट बैंक को पार्टी के साथ जोड़े रखने और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए पार्टी सिंधिया पर दांव लगाने को तैयार दिखती है. जिसका लिटमस टेस्ट आगामी उपचुनाव में हो सकता है.

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