भोपाल।एमपी में सीएम पद की रेस में दिखाई दे रहे दिग्गज बीजेपी नेताओं के बीच शिवराज अकेले हैं, जिन्होंने दिल्ली दौड़ नहीं लगाई. बल्कि चुनाव नतीजे आते ही शिवराज इस आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतर गए हैं कि पार्टी के पास उनसे बेहतर विकल्प भी नहीं. शिवराज के इस आत्मविश्वास की वजह क्या है. इसमें दो राय नहीं कि एमपी में बीजेपी की बंपर जीत का एक फैक्टर लाड़ली बहना योजना और शिवराज की मेहनत भी है, लेकिन जाहिर तौर पर तो खुद को सीएम पद की रेस से बाहर बता रहे शिवराज को क्या ये पुख्ता यकीन है कि एमपी में बीजेपी की पांचवी पारी के तारणहार वहीं होंगे.
अगर ये आत्मविश्वास है तो इसकी क्या वजह है. क्या वाकई शिव का राजयोग अभी खत्म नहीं हुआ. कुंडली के बारह खाने बता रहे हैं कि शिवराज का राज योग 12 दिसम्बर से फिर शुरु हो रहा है. ज्योतिषाचार्य शिव मल्होत्रा बड़े ही विश्वास के साथ कहते हैं कि, "मुझे कोई शक नहीं है कि शिवराज फिर से मुख्यमंत्री ना बनें. शिवराज का राजयोग शुरु हो रहा है और वो एक बार फिर से मध्य प्रदेश की सत्ता को सम्हालेंगे. 12 दिसंबर को सीएम के रुप में वो फिर से शपथ लेंगे. ज्योतिषिय गणना यही कहती है कि शिवराज ही मोदी के राइट च्वाइस होंगे."(Shivraj to take oath on 12 December)
शिवराज क्यों हो सकते हैं राईट च्वाइस: इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी में बाकी सीएम पद के दावेदारों में शिवराज का दावा सबसे मजबूत है. इस मजबूती की वजह है विधानसभा चुनाव में उनकी जी तोड़ मेहनत. लाड़ली बहना योजना का इम्पैक्ट. शिवराज ने अकेले 165 से ज्यादा सभाएं और रैलियां की. अकेले ऐसे नेता हैं जो चुनाव के नतीजे आते ही फिर जनता के बीच पहुचं गए हैं. असल में भोपाल की बस्तियों से लेकर छिंदवाड़ा में आम लोगों के बीच पहुंच रहे शिवराज एक पंथ कई काज के अंदाज में है.