भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. देश की राजनीति के प्रमुख दो दल इस बार कांटे के मुकाबले के लिए तैयार नजर रहा आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलती नजर आ रही है.
खासकर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिन तीन राज्यों में भारी सीटें हासिल कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया था, अब उनमें बीजेपी की सरकार नहीं रही है. इससे ये साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए 2014 जैसा प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होगा.
2014 में उठी थी मोदी लहर
पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ऐसी दौड़ा थी कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने कुल 65 में से 62 सीटें हासिल की थी. हालांकि बाद में उपचुनाव के चलते मध्यप्रदेश में 1 सीट रतलाम, झाबुआ और राजस्थान में अलवर और अजमेर कांग्रेस के खाते में चली गई थी. मौजूदा स्थिति में बीजेपी के पास इन तीनों राज्यों में 65 में से 59 सीटें हैं.
लेकिन, विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया है. मध्यप्रदेश और राजस्थान में भले ही बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी है, लेकिन कांग्रेस को सरकार बनाने से नहीं रोक पाई. छत्तीसगढ़ में तो बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया है. इन हालातों में बीजेपी के लिए 2014 जैसा प्रदर्शन करना मुश्किल है.
मध्यप्रदेश में कैसा है हाल
विधानसभा चुनाव के परिणामों से साफ हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगी. अगर मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव का आंकलन विधानसभा चुनाव के परिणाम के आधार पर करें तो कांग्रेस और बीजेपी 12- 12 सीटों पर बढ़त लिए हुए दिख रही हैं और 5 सीटों पर कांटे की टक्कर है.
ऐसे में कांग्रेस मध्यप्रदेश में बढ़त बनाने की हर तरह की कोशिश में जुटी हुई है. कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के कारण वोट प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी, जनता भी कांग्रेस के पक्ष में वोट करेगी. मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि पार्टी का टारगेट पूरी 29 सीट जीतने का है. विधानसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से कांग्रेस 12 सीटों पर आगे है और 5 सीटो पर बीजेपी की बराबरी में हैं और बाकी सीटों पर कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ गए हैं.
लेकिन, हमेशा से वोटिंग का जो ट्रेन्ड रहा है कि जैसे ही राज्य में सरकार बदलती है तो बहुत सारा वोट गदद्दी पर काबिज राजनीतिक दल के पक्ष में आ जाता है. इसलिए उनका अनुमान है कि कांग्रेस 5 से 7% वोट बढ़ाने में कामयाब हो जाएगी और करीब 5% वोट कार्यकर्ताओं की मेहनत से मिलेगा, ऐसी स्थिति में कांग्रेस 20 से 22 सीटें जीतने में सफल हो जाएगी.