भोपाल।दिसंबर महीने के आखिरी हफ्ते में आयोजित होने जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में जमकर घमासान होने के आसार हैं. दरअसल इस सत्र में मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होना है. लेकिन परंपरा के नाम पर सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्ष कांग्रेस आमने-सामने हैं. दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा में एक परंपरा लंबे समय से चली आ रही थी कि विधान सभा का अध्यक्ष सत्ताधारी दल से चुना जाता है, जबकि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता रहा है. लेकिन 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद यह परंपरा टूट गई. लिहाजा अब बीजेपी भी इस राह चल सकती है.
आरोपी-प्रत्यारोप
हालांकि इस परंपरा के टूटने के पीछे दोनों दल जिम्मेदार हैं. हालांकि अब कांग्रेस पुरानी परंपरा निभाने की बात कर रही है. कांग्रेस का तर्क है कि स्पीकर का चुनाव सर्वानुमति से होता था. लेकिन बीजेपी ने उम्मीदवार खड़ा कर परम्परा तोड़ी थी. वहीं बीजेपी का तर्क है कि कांग्रेस ने परंपरा तोड़ी थी. इसलिए अब दोनों पद बीजेपी अपने पास ही रखेगी.
मध्यप्रदेश विधानसभा की परंपरा
मध्य प्रदेश विधानसभा 2018 के पहले तक एक परंपरा थी कि जब भी स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होता था तो दोनों चुनाव सर्वसम्मति से होते थे. पक्ष और विपक्ष मिलकर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के नाम तय कर लेते थे. दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारते थे. इस तरह से अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के लिए और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिल जाता था. 2013 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के सीताशरण शर्मा विधानसभा अध्यक्ष बने थे, तो कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया था. 1972 से मध्यप्रदेश में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा चल रही थी, लेकिन 2018 में यह परंपरा टूट गई.
कैसे टूट गई बरसों पुरानी परंपरा
दरअसल 2018 में जब स्पीकर के चुनाव के लिए विधानसभा का सत्र आहूत किया गया, तब परंपरा के मुताबिक उम्मीद थी कि सत्ताधारी दल यानी कांग्रेस का उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव चुना जाएगा.कांग्रेस की तरफ से स्पीकर पद के लिए गोटेगांव विधायक एनपी प्रजापति को उम्मीदवार बनाया गया था. कांग्रेस को भरोसा था कि परंपरा के मुताबिक बीजेपी प्रत्याशी नहीं उतारेगी, लेकिन नजदीकी संख्या बल को देखते हुए बीजेपी ने स्पीकर पद के लिए आदिवासी वर्ग के विधायक विजय शाह को उम्मीदवार बनाया. जिसके चलते दशकों पुरानी परंपरा टूट गई. हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार एनपी प्रजापति ही चुनाव जीतकर स्पीकर बने.
जब कांग्रेस ने भी उतारा विधानसभा उपाध्यक्ष पद उम्मीदवार
जब विपक्षी दल ने स्पीकर के चुनाव में परंपरा को तोड़ते हुए अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया, तो तत्कालीन सत्ताधारी दल कांग्रेस ने भी विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के चुनाव में पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए अपना प्रत्याशी उतार दिया. विधानसभा डिप्टी स्पीकर पद के लिए प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने जगदीश देवड़ा को उम्मीदवार बनाया,तो कांग्रेस ने भी आदिवासी और युवा महिला चेहरा हिना कांवरे पर दाव लगाया और हिना कांवरे डिप्टी स्पीकर चुनी गईं.
भाजपा को पुरानी परंपरा पुनर्जीवित करना चाहिए
पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता पीसी शर्मा कहते हैं कि एक तो बहुत 3 दिन का सत्र वैसे ही छोटा सत्र है. सत्र की अवधि ज्यादा होनी चाहिए थी.कोरोना काल में जनता परेशान हो रही है.विधायक अपने क्षेत्र की बात रखना चाहता है. इन तमाम मुद्दों के बीच विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव भी होना है. हमारा मानना है कि जो परिपाटी थी कि अध्यक्ष सत्ताधारी दल का और उपाध्यक्ष विपक्षी दल का हो, इस परंपरा को सीएम शिवराज सिंह और भाजपा को पुनर्जीवित करना चाहिए. बीजेपी के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती थी कि अध्यक्ष का चुनाव सर्वानुमति से हो, लेकिन बीजेपी ने अध्यक्ष पद पर उम्मीदवार खड़ा कर दिया था.इसलिए उस समय ऐसा हुआ था. लेकिन परंपरा को फिर से जीवित करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतारेगी या नहीं उतारेगी. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सब चीजें हमारे अध्यक्ष कमलनाथ तय करेंगे. जब सर्वदलीय बैठक होगी,वहां पर यह बात रखी जाएगी. उसके बाद कमलनाथ तय करेंगे कि क्या करना है,क्या नहीं करना है.
अब किस अधिकार से मांग रहे हैं डिप्टी स्पीकर का पद
शिवराज सरकार के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ये परंपरा किसने तोड़ी. जो पुरानी परंपरा चली आ रही थी, उसे कमलनाथ ने तोड़ा है. हमने नहीं. उपाध्यक्ष का पद उस समय उन्हें विपक्ष को देना था, जो उन्होंने नहीं दिया. जब उन्होंने नहीं दिया, तो मांग किस अधिकार से रहे हैं. यह सवाल खड़ा होता है.
प्रोटेम स्पीकर के सहारे चल रही है विधानसभा
कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के बाद उपचुनाव संपन्न होने के बाद अब तक एमपी की विधानसभा प्रोटेम स्पीकर के सहारे चल रही है. पहले बीजेपी के जगदीश देवड़ा करीब 100 दिन तक प्रोटेम स्पीकर रहे थे और फिलहाल पिछले 5 महीने ज्यादा से रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर के पद पर हैं. उपचुनाव के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार सुरक्षित हो गई है.अब स्थाई स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव होना है. ऐसी स्थिति में फिर घमासान के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस पुरानी परंपरा की दुहाई दे रही है और बीजेपी कांग्रेस पर ही परंपरा तोड़ने का आरोप लगा रही है.