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आमने-सामनेः बीजेपी का दावा, नए कृषि कानूनों से किसानों का होगा भला, कांग्रेस ने बताया धोखा

देश के कई राज्यों में नए कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है. जिसके चलते केंद्र सरकार ने किसान चौपाल और किसान सम्मेलन कर किसानों को समझाने का रास्ता खोजा है. इसकी बानगी मध्यप्रदेश में देखने को मिली. मोदी सरकार इस तरह के कदम उठाकर संदेश देना चाहती है कि सरकार किसानों का हित चाहती है. हालांकि कांग्रेस लगातार इन कानूनों का विरोध कर रही है. जिसके चलते मध्यप्रदेश में उपवास से लेकर तमाम तरह की आयोजन किये जा रहे हैं.

शिवराज-कमलनाथ
शिवराज-कमलनाथ

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Published : Dec 22, 2020, 5:43 PM IST

भोपाल। देश में राजनीति का केंद्र किसान बना हुआ है. नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं. केंद्र की बीजेपी सरकार किसानों को मनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसानों की एक ही मांग है तीनों कानूनों की वापसी से कम में कोई समझौता नहीं होगा. भारतीय जनता पार्टी किसान सम्मेलन, किसान चौपाल, कृषि मंत्री की चिट्ठी के माध्यम से किसानों को समझाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है. यही वजह है कि किसान सम्मेलन आयोजित कर किसानों को करोड़ों की राशि डाली गई. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी 19 दिसंबर को किसानों के लिए मौन उपवास किया था. अब 28 दिसंबर को एक बार फिर प्रदेश भर के किसानों को भोपाल बुलाकर एक बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है.

सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया से खास बातचीत

पीएम मोदी ने गिनाए थे कृषि कानूनों के फायदे

बीजेपी ने किसानों को साधने के लिए किसान सम्मेलन आयोजित किया था. जिसमें प्रदेश के 35 लाख किसानों को 1600 करोड़ की राशि डाली गई थी.इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार की तारीफ की थ. साथ ही कृषि कानून के फायदे बताते हुए पिपरिया में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों को मिली फसल की उचित कीमत का भी उदाहरण दिया था. जिसका प्रसारण सभी पंचायत स्तर पर किसानों के बीच किया गया था.

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राज्य के कृषि मंत्री लगा रहे है खेतों में चौपाल

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल भी कृषि कानूनों को लेकर किसानों के बीच जा रहे हैं. खेतों में किसान चौपाल के जरिए किसानों को नए कृषि कानून के बारे में समझा रहे हैं. कृषि मंत्री कमल पटेल ने हरदा जिले में करीब एक दर्जन गांव में किसान चौपाल लगाई. किसानों के बीच बैठकर कृषि मंत्री ने कृषि कानून को लेकर किसानों किसानों को उसके फायदे गिना रहे हैं.

सीएम शिवराज सिंह चौहान

25 दिसंबर को फिर किसानों से बता करेंगे पीएम मोदी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस यानी 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसानों को एक बार फिर संबोधित करेंगे.इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के 9 करोड़ किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि के 18 हजार करोड़ रूपए की राशि भी ट्रांसफर करेंगे. जिसमें करीब 78 लाख मध्य प्रदेश के किसान शामिल हैं. यानी केंद्र सरकार किसान सम्मान निधि और किसान सम्मेलन के माध्यम से कहीं ना कहीं मध्य प्रदेश से पूरे देश में यह संदेश देने की कोशिश में है कि बीजेपी की सरकार किसान हितैषी सरकार है.

शिवराज सरकार किसान विरोधी है- कमलनाथ

मध्यप्रदेश कांग्रेस कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रही है. इसको लेकर 19 दिसंबर को प्रदेशभर में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर मौन उपवास किया था. अब कांग्रेस के स्थापना दिवस यानी 28 दिसंबर को राजधानी भोपाल में एक बड़ा किसान आंदोलन करने जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट कर शिवराज सरकार पर किसान विरोधी होने के साथ-साथ युवा और रोजगार विरोधी होने का भी आरोप लगाया है. कमलनाथ ने कहा है पिछले 15 साल के शासन काल में ना तो युवाओं को रोजगार मिला है. ना ही किसानों को उनकी फसल का उचित दाम.

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प्रधानमंत्री ने किसानों से झूठ बोला- दिग्विजय सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रधानमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. दिग्विजय सिंह का कहना है कि 18 दिसंबर को किसान सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कर्ज माफी को लेकर झूठा बयान दिया है. जबकि विधानसभा में खुद ही सरकार ने 20 लाख किसानों की कर्ज माफी की बात को स्वीकार किया था.

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कृषि कानूनों को लेकर हो रहे किसान आंदोलन में जहां कांग्रेस किसानों के पाले में नजर आ रही है. वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश से किसान हितैषी योजनाओं का शुभारंभ कर केंद्र सरकार पूरे देश में किसानों को एक संदेश देना चाहती है कि वे किसानों का भला चाहते हैं. बीजेपी मध्य प्रदेश को एक आइडल राज्य के तौर पर प्रस्तुत करना चाहती है.ताकि किसान आंदोलन की आग को धीरे-धीरे बुझाया जा सके.

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