भोपाल।मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरा दमखम लगा रखा है. चूंकि अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए दोनों ही दल स्थानीय निकाय चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं. जिताऊ चेहरे दोनों दलों की प्राथमिकता में सबसे ऊपर हैं. लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि दावेदार पार्टी के प्रति वफादार कितना है. चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी कहीं दगा न दे जाए, इसीलिए दोनों ही दल दावेदारों से नर्मदा जल और गंगाजल लेकर कसमें खिलवा रहे हैं. अगर कामयाबी मिली तो यह परिपाटी आगे भी जारी रहेगी. बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने उम्मीदवारों से ऐसी ही कसमें खिलवाई थीं. नतीजा, कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो गई थी.
क्यों खिला रहे हैं कसम :बीजेपी दिग्विजय सिंह पर मिस्टर बंटाधार के नाम से तंज कसती है. अब वही बीजेपी दिग्विजय सिंह के फार्मूले पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी और कांग्रेस ने जिताऊ चेहरों पर दांव आजमाना शुरू कर दिए हैं. स्थानीय चुनाव में जीत की रणनीति के तहत कसमें खिलाई जा जा रही हैं. पार्टियां जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष के लिए चिह्नित व्यक्तियों से वादा करवाने और पक्की डील करने में जुटे हैं. पक्की डील फेल ना हो, इसके लिए नर्मदा जल या फिर गंगाजल का सहारा लेकर वादा न तोड़ने की कसम भी दिलाई जा रही है. कसम खिलाने का मकसद यह है कि पार्टिया निश्चिंत होकर प्रत्याशी को जिताने में जुट जाएं.
कांग्रेस भरवा रही शपथ पत्र :स्थानीय चुनाव को लेकर कांग्रेस ने शपथ पत्र तैयार किया है. एक निश्चित फॉर्मेट जिताऊ प्रत्याशियों को भरना होगा. इसमें पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित रहने और साथ ही ऐसे स्थान पर धूम्रपान और ऐसी किसी गतिविधि को ना करने का वादा करना पड़ता है, जोकि पार्टी या व्यक्ति की छवि खराब न करे, साथ ही उसकी निष्ठा पार्टी के प्रति बनी रहे. इसके लिए नर्मदा जल या फिर गंगाजल की कसम भी खिलाई जा रही है. आदिवासियो को भरोसे में लेने के लिए उनके देवताओं के सामने शपथ दिलाई जाती है. दोनों ही पार्टियां आदिवासी के साथ अन्य जातियों के देवी- देवताओं के सामने बैठक कर वादा दिलाते हैं कि आपको पार्टी के प्रति समर्पित रहना है.
ओबीसी पर दोनों दलों की नजर: बीजेपी और कांग्रेस 27% ओबीसी को टिकट देने का वादा कर चुकी है. मैदानी चुनाव और स्थानीय स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. संचालन समितियों को स्पष्ट निर्देश है कि स्थानीय नेतृत्व से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाए. चुनावी नतीजों के बाद प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है. जोर- जबरदस्ती और प्रलोभन का खेल खुलकर ना हो. इसके इंतजाम हो रहे हैं. जनपद जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में जिन लोगों पर भाजपा अपना दांव लगाएगी, उनसे पहले ही शपथ ले ली जाएगी कि जीतने के बाद वे पाला नहीं बदलेंगे. प्रलोभन में आकर निष्ठा नहीं बदलेंगे. इसके लिए स्थानीय स्तर पर हाथ में नर्मदा या गंगाजल लेकर कसम दिलाने की बात भी शामिल है. डील पक्की होने के बाद पार्टी के स्थानीय नेता उसे चुनाव जिताने के अभियान में जुट जाएंगे.