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बीमारी से बचाने के साथ ही भरपूर आय का साधन है इस्तेमाल किया हुआ खाने वाला तेल

जले हुए तेल का बार-बार इस्तेमाल करने से लोगों की सेहत बिगड़ रही है, इसलिए खाद विभाग अब नए तरीके से इस पर अंकुश लगाएगा. खाद्य तेल से अब बायोडीजल बनाया जाएगा.

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Published : Oct 9, 2020, 10:18 AM IST

Updated : Oct 9, 2020, 11:47 AM IST

bhopal
भरपूर आय का साधन है इस्तेमाल किया हुआ खाने वाला तेल

भोपाल। होटल रेस्टोरेंट में उपयोग होने वाले खाद्य तेल से अब बायोडीजल बनाया जाएगा. प्रदेश में अब ऐसे प्रतिष्ठानों को चयनित किया जा रहा है, जहां रोजाना 50 लीटर या उससे ज्यादा तेल की खपत होती है. ऐसे संचालकों से खाद्य विभाग तीन बार उपयोग किए गए तेल को खरीदेगा. इससे तीन फायदे होंगे, एक ग्राहकों को सेहतमंद खाना मिलेगा, दूसरा होटल रेस्टोरेंट संचालकों को तेल बेचने पर पैसे भी मिलेंगे, तीसरा पर्यावरण भी ज्यादा प्रदूषित नहीं होगा.

भरपूर आय का साधन है इस्तेमाल किया हुआ खाने वाला तेल

30 रुपए लीटर खरीदा जाएगा जला तेल-

तेल का बार-बार इस्तेमाल करने से लोगों की सेहत बिगड़ रही है, इसलिए खाद विभाग अब नए तरीके से इस पर अंकुश लगाएगा. खाद्य विभाग होटल और रेस्टोरेंट्स से तीन बार इस्तेमाल किया हुआ जला तेल खरीदेगा. जिससे बायोडीजल तैयार किया जाएगा. केंद्रीय संस्था एफएसएसएआई (fssai) ने इसको लेकर निर्देश भी जारी कर दिए हैं. एफएफएसआई ने जले हुए तेल को खरीदने के लिए 17 एजेंसियों को नामांकित किया है. तीन बार उपयोग किए गए तेल को 30 रुपए लीटर की दर से खरीदा जाएगा.

FSSAI ने निर्देश पर प्लान किया तैयार-

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के जॉइंट कंट्रोलर अभिषेक दुबे का कहना है कि बार-बार एक ही तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. 3 बार से अधिक तेल का इस्तेमाल ना हो इसके लिए केंद्रीय संस्थान एफएसएसएआई ने निर्देश जारी किए हैं. इसको लेकर जिलों में भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिन प्रतिष्ठानों में रोजाना 50 लीटर तेल का उपयोग होता है, उनका डाटा तैयार किया जा रहा है. जल्द सभी से तेल खरीदना शुरू कर दिया जाएगा.

क्या होता है बायोडीजल ?

बायोडीजल डीजल के स्थान पर एक वैकल्पिक ईंधन है. बायोडीजल वनस्पति तेल, पशुओं के वसा, तेल और खाना पकाने के तेल से बनाया जाता है. इन तेलों को बायोडीजल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ट्रान्स इस्टरीकरण कहा जाता है. बायोडीजल में कम मात्रा में पेट्रोलियम पदार्थ को मिलाया जाता है और विभिन्न प्रकार की गाड़ियों में प्रयोग किया जाता है. डीजल जहरीला नहीं होने के साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल भी है. इसको भविष्य का ईंधन माना जा रहा है. देश का पहला बायोडीजल प्लांट ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में स्थापित किया गया है.

कितना खतरनाक है यूज किया तेल-

बायो केमिस्ट्री विभाग की एचओडी डॉ तृप्ति सक्सेना का कहना है कि एक ही तेल को बार-बार इस्तेमाल करना बहुत गलत तरीका है. इससे तेल की गुणवत्ता पूरी तरह से खराब हो जाती है, क्योंकि जब उच्च तापमान में तेल को गर्म करते हैं तो उसमें कुछ नुकसान दायक तत्व पर ऑक्साइड, हाइड्रोक्साइड बन जाते हैं. इससे तेल में फैट की गुणवत्ता खराब हो जाती है. यदि ये तेल हमारे शरीर में जाता है तो इससे रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीसीज पैदा हो जाती है, ये ऑक्सीडेंट शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं.

तेल में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, पर बार-बार तेल को गर्म करने से ये भी खत्म हो जाते हैं और अच्छी गुणवत्ता का अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, सैचुरेटेड फैटी एसिड में बदल जाता है. इससे व्यक्ति में हाइपरटेंशन, दिल की बीमारी, डायबिटीज और मोटापा जैसी बीमारी होती है. डॉक्टर सक्सेना का कहना है कि तेल को दो बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इसके साथ ही यदि तेल एक बार इस्तेमाल करके उसे चार से 8 दिन बाद इस्तेमाल करते हैं तो ये भी नुकसानदायक होता है.

एक ही तेल के बार-बार इस्तेमाल होने से सेहत को खतरा है. अब इस पर अंकुश लगाने के लिए खाद्य विभाग ने नई पहल की है. ताकि दुकानदार तेल को बार-बार इस्तेमाल ना करें, बल्कि उसे बायोडीजल बनाने के लिए बेच दें. अब देखने वाली बात होगी कि इस पहल का कितना असर देखने को मिलेगा.

Last Updated : Oct 9, 2020, 11:47 AM IST

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