भोपाल। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने के बाद भोपाल का किसान काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. किसान पहले लॉकडाउन में वैसे ही परेशान था और अपनी फसल नहीं काट पा रहा था और बे मौसम बरसात होने के कारण उसकी गेहूं की फसल की गुणवत्ता नष्ट हो गई थी. इसी बीच उसे उम्मीद थी कि 14 अप्रैल के बाद कम से कम गेहूं की खरीदी शुरू हो जाएगी, लेकिन भोपाल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के कारण भोपाल को रेड जोन में शामिल कर लिया गया और भोपाल में गेहूं की खरीदी आज से शुरू नहीं की गई.
एक तरफ किसान को अपनी फसल का उचित मूल्य ना मिलने का डर सता रहा है और दूसरी तरफ उसकी फसल सरकार कब खरीदेगी यह चिंता बढ़ गई है. राजधानी भोपाल में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही लॉक डाउन कर दिया गया था. इस दौरान ज्यादातर किसानों की गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई थी, लेकिन लॉक डाउन के कारण ना तो भोपाल के किसानों को मजदूर मिले और ना ही दूसरे राज्यों से आने वाले हार्वेस्टर मिले.
खेतों में खड़ी हैं फसल
इसी दौरान मार्च के अंत में 2 दिन ओलावृष्टि और बरसात हो गई, जिससे खेतों में खड़ी किसानों की पकी हुई गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा. पकी हुई फसल पर ओलो और बारिश की मार के कारण दाना कमजोर पड़ गया, लेकिन किसान के गेहूं काटने की फिर भी व्यवस्था नहीं हो सकी. एक तरफ भोपाल में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के चलते प्रशासन ने मजदूरों से कटाई पर रोक लगा दी. वहीं दूसरी तरफ हार्वेस्टर ना आने के कारण किसानों की फसल खेत में खड़ी रही.
ओला और बारिश ने किया नुकसान