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जिस भारत भवन के निर्माण में भूरी बाई ने ढोए ईंट, आज वहीं बनी मुख्य अतिथि - Bharat Bhavan in bhopal

भूरी बाई ने अपने जीवन में कला की शुरुआत राजधानी के भारत भवन से की थी. जिस भारत भवन के निर्माण के लिए भूरीबाई ने अपने कंधों पर ईंटे उठाई, आज उसी भारत भवन में स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में वह शामिल होंगी.

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भूरी बाई भारत भवन में बनी मुख्य अतिथि

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Published : Feb 13, 2021, 1:40 PM IST

भोपाल। भील शैली को चित्रों के जरीए दिवारों पर उकेरने वाली मशहूर चित्रकार और पद्मश्री सम्मानित भूरी बाई आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जानी जाती है. जिस भारत भवन में एक मजदूर के तौर पर वह सिर पर ईंटे ढोती थी, आज भारत भवन के 39वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगी.

भूरी बाई की कला
भूरी बाई की कला

दरअसल, आज भारत भवन का स्थापना दिवस है. भारत भवन की स्थापना दिवस पर इस वर्ष मुख्य अतिथि के रुप में भूरीबाई को निमंत्रण दिया गया है. इसको लेकर भूरी बाई ने कहा था कि यह उनके लिए गौरव की बात है और यह सब एक सपने जैसा है.

भूरी बाई की कला
भूरी बाई की कला

जिस भारत भवन में कभी मजदूरी की, आज वहां मुख्य अतिथि होंगी भूरी बाई
झाबुआ जिले में जन्मी भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है. भूरी बाई ने अपने जीवन में कला की शुरुआत भारत भवन से ही की थी. जिस भारत भवन के निर्माण के लिए भूरी बाई ने अपने कंधों पर ईंटे उठाई, आज उसी भारत भवन में स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में वह शामिल होंगी.

भूरी बाई की कला

पद्मश्री के लिए नामित भीली चित्रकार भूरी बाई से बातचीत

आज भारत भवन का 39वां स्थापना दिवस
भारत भवन का आज 39वां स्थापना दिवस है. शाम 6 बजे विभिन्न कलाकृतियां और नृत्य-नाटक आयोजित किए जाएंगे. भारत भवन के स्थापना दिवस में पद्मश्री सम्मानित भूरी बाई और कपिल तिवारी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है.

भूरी बाई ने इसी भारत भवन में पहला चित्र बनाया था. उनके गुरु जय स्वामीनाथन ने उन्हें मजदूर से कलाकार बनाया था. भारत भवन में चित्रकला की शुरुआत करते हुए भूरी बाई आज पद्मश्री से सम्मानित हुई है.

भूरी बाई भारत भवन में बनी मुख्य अतिथि
भूरी बाई ने कहा- यह किसी सपने से कम नहींजहां से मजदूरी की शुरुआत की, आज वहीं भूरी बाई को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित किया गया. भूरीबाई ने कहा कि यह सब मेरे लिए सपने जैसा है. जिस भारत भवन में मैं ईंट और गिट्टी उठाती थी, उसी भारत भवन में मेरे गुरु जे. स्वामीनाथन ने मुझे चित्रकला का काम दिया. आज मैं चित्रकार बनी. भारत भवन की स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना मेरे लिए एक सपने जैसा है. इस खुशी को लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता. यह किसी भी सम्मान और पुरस्कार से बड़ा है.

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