भोपाल।मध्यप्रदेश के कई जिलों में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इंदौर और भोपाल की स्थिति बहुत गंभीर है. मौजूदा परिस्थितियों में साफ नजर आ रहा है कि, प्रशासन और शासन सक्षमता से कोरोना का मुकाबला नहीं कर पा रहा है. वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि, इंदौर और भोपाल में प्रशासन पूरी तरह असफल हुआ है.
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का बढ़ता ही जा रहा प्रकोप गुप्ता का कहना है कि, कोरोना से जूझते हुए मध्यप्रदेश को 30 दिन हो गए हैं. केवल इंदौर में 1 दिन की टेस्टिंग किट बची हुई है. हजारों सैंपल पेंडिंग पड़े हुए हैं. किसी भी तरह से हम इस लड़ाई को सक्षमता से लड़ने की स्थिति में नहीं है. जिन जिलों ने मेहनत की है, वहां संतोषजनक स्थिति है, वहां के अधिकारियों को धन्यवाद दिया जाना चाहिए, लेकिन इंदौर और भोपाल में प्रशासन पूरी तरह असफल हुआ है या तो प्लानिंग में त्रुटियां है, या फिर प्रदेश सरकार इन परिस्थिति को संभाल नहीं पा रही है.
सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए नहीं जा रहे लोग
उन्होंने कहा कि, अस्पतालों की स्थिति ये है कि, वहां पर इस बात की तैयारी नहीं है कि, लॉकडाउन के बाद जो परिस्थितियां उत्पन्न होंगी. उनमें अस्पताल, बेड, डेडीकेटेड हॉस्पिटल कि कोई निश्चिंतता नहीं है. सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए लोग नहीं जा रहे हैं. ये एक विकट स्थिति है, जिस पर हमें विचार करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी प्रदेश की जनता को आगाह करती है कि, वो सरकार को अपना संदेश भेजें कि सरकार इन चीजों पर काम करें और इन परिस्थितियों को समझें.
किसानों की स्थिति हुई खराब
भूपेंद्र गुप्ता ने किसानों के उपार्जन के मामला मे कहा कि, मध्य प्रदेश के सारे किसानों की हालत इतनी खराब है कि, जिसे बयां नहीं किया जा सकता है. मध्यप्रदेश का बंगला पान, जो पाकिस्तान तक निर्यात होता था, उसकी खेती करने वाले किसानों को खेत में नहीं जाने दे रहे हैं. वे किसान पूरी तरह से मिट गया है, उसकी फसल जल गई है. अब स्थिति ये है कि जो लाखों की संख्या में किसान पान की खेती करते हैं, उनके पास कोई संसाधन नहीं है. सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि, फूल और सब्जी की खेती करने वाले किसान केवल प्रशासनिक गलतियों से बर्बाद हो गए हैं, क्योंकि उन्हें कोई लॉजिस्टिक सपोर्ट नहीं मिला है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. कोरोना की लड़ाई में कांग्रेस जनता के साथ खड़ी है. सरकार जो भी सहयोग मांगेगी, हम उनके साथ हैं, लेकिन सरकार को इन परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए.