भोपाल।कहते हैं 'मानव सेवा ही, नारायण सेवा होती है' और ऐसी मानव सेवा इस कोरोना काल में कई लोगों ने की. उन्हीं में से एक नाम है विपिन तिवारी. डॉक्टर विपिन मूलतः जबलपुर के रहने वाले है, 12 साल पहले भोपाल आकर बस गए थे. बीडीएस की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करने लगे. लेकिन जैसे ही करोना की दूसरी लहर आमजन के लिए दुख का कारण बनी, तो विपिन ने एक medicine bank बनाया. और मेडिसिन बैंक के माध्यम 500 से अधिक जरूरतमंद लोगों तक दवाइयां पहुंचाई.
- कोरोना गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण के कारण आई परेशानी
दरअसल विपिन ने उन लोगों को ढूंढा जिनके घर में कोई कोरोना संक्रमित हुआ और ठीक हो चुका था. विपिन ने ऐसे घरों को ढूंढा और उन लोगों के घर पर बची हुई दवाइयों को इकठ्ठा किया. विपिन ने दवाइयों को इकठ्ठा करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया. शुरुआती दौर में तो यह काम बड़ा कठिन था और विपिन के सामने कई मुश्किल आई. क्योंकि विपिन के सामने कोरोना की गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण का खतरा था.
- व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किया काम
विपिन ने बताया कि शुरुआत में दवाइयां इकट्ठा करने के लिए उन्होंने लोगों को बोला, तो सभी को भी यह अटपटा सा लगा. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने अपने पांच साथियों का एक ग्रुप बनाया और व्हाट्सएप के माध्यम से ही एक दूसरे से कनेक्ट हुए. ग्रुप में एक साथी संबंधित घर से दवाइयां लेकर आता, तो दूसरा साथी उसको उस जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचा था. जहां इसकी जरूरत थी. नजर आया कि कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने दवाइयों के लिए अपने घर के बर्तन से लेकर जेवर तक बेच दिए. विपिन ने ऐसे लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और यह सफल होने लगा और लोगों को एक दूसरे से इसके बारे में पता चलने लगा.