भोपाल।मध्यप्रदेश में इंदौर और भोपाल दो ऐसे शहर हैं, जहां सरकार ने कमिश्नर सिस्टम लागू किया, ताकि अपराध के साथ हैवी ट्रैफिक जाम से भी शहर को मुक्ति मिले. लेकिन बारिश में पूरा सिस्टम ही फेल दिखाई देता है. हालात ऐसे बन जाते हैं कि लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर इसी ट्रैफिक जाम को लेकर भोपाल ट्रैफिक पुलिस खासी ट्रोल हुई. ट्रैफिक जाम भोपाल के उस एरिया में होता है, जहां सबसे अधिक वीआईपी मूवमेंट होता है. जैसे विधानसभा, मंत्रालय यानी वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन. इसके आलावा एमपी नगर के दोनों जोन, होशंगाबाद रोड आदि शामिल हैं.
आधा स्टाफ वीआईपी मूवमेंट में बिजी :जहां ज्यादा जाम लगता है, ये सभी इलाके कमिश्नर सिस्टम के तहत जोन 2 में आते हैं. इस जोन में कुल 9 थाना क्षेत्र हैं. यदि ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो इस जोन में महज 62 ट्रैफिक पुलिस कर्मी हैं. इनमें से भी करीब 50 फीसदी यानी लगभग 30 से 31 ट्रैफिक पुलिसकर्मी उस रूट पर तैनात रहते हैं, जिनसे वीआईपी मूवमेंट होता है. समस्या यह है कि इस जोन में सरकारी बिल्डिंगों के साथ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का मुख्यालय भी है. यहां लगातार सीएम शिवराज सिंह चौहान और अन्य कई मंत्रियों व दूसरे केंद्रीय नेताओं का हर दिन आना जाना लगा रहता है.
कंस्ट्रक्शन वर्क भी बड़ा कारण :दूसरी कांग्रेस कार्यालय में आए दिन धरना प्रदर्शन होता है. इसके चलते आधा स्टॉफ इनके रूट का क्लीयर करवाने में लगा रहता है. जोन 2 के एसीपी संजय पवार बताते हैं कि हमारे लिए मुश्किल यह है कि जंबूरी और दशहरा मैदान जैसे इलाके भी इसी जोन में आते हैं. यहां सामाजिक व राजनैतिक कार्यक्रम लगातार होते हैं. जब उनसे पूछा कि अमला क्या पर्याप्त है तो बोले कि हां पर्याप्त है. लेकिन जब उनसे पूछा कि फिर क्यों जाम लगता है तो जवाब मिला कि कंस्ट्रक्शन वर्क अधिक होने से.