भोपाल। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मध्यप्रदेश में बाघों की मौत कर्नाटक के मुकाबले ज्यादा हुई है. 2018 में जब बाघों की गिनती हुई थी तो मध्य प्रदेश सिर्फ दो बाघों के अंतर से बाजी जीत गया था. 526 बाघ एमपी में थे तो वहीं 524 कर्नाटक में पाए गए. मध्यप्रदेश में 526 बाघ 2018 में पाए गए थे. लेकिन प्रदेश के लिए अच्छी बात यह है कि यहां पर तेन्दुओं की संख्या भी काफी ज्यादा है. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी 3424 दिन हुए हैं और विभाग मानता है कि यह संख्या 4 साल में और भी बढ़ गई है.
भोपाल ऐसा शहर जहां इंसान और बाघ रहते हैं साथ:एक तरफ प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है. वहीं, भोपाल इससे अछूता नहीं है. भोपाल जिले की सीमा में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक क्षेत्र में 15 से ज्यादा बाघ हैं. अब यहां 40 बाघ हो गए हैं. सरकारी और निजी संस्थानों ने इनके इलाकों पर कब्जा कर रखा है. भोपाल का मेनिट परिसर और भोज विश्वविद्यालय के साथ-साथ वाल्मी जैसे संस्थानों का एक बड़ा हिस्सा टाइगर टेरिटरी में है. इसीलिए अक्सर इन इलाकों में बाघ के दर्शन हो जाते हैं.