भोपाल। कर्नाटक के चुनाव में एक 'की-वर्ड' ने पॉलीटिकल सीन बदल दिया था. 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार का जो की वर्ड कांग्रेस ने दिया, तो उस जमीन पर कहानी ही बदल गई. अब एमपी में भी चुनाव जब धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है तो हर दिन बयानों की धार के साथ ऐसे 'की-वर्ड' की बहार आ रही है. करप्शन चुनाव के ऐलान के पहले ट्रेडिंग था. इसी पर पोस्टर वार भी शुरु हुआ लेकिन चुनाव की तारीखों के बाद तो ऐसे-ऐसे शब्द राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं कि जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. अब बताइए चुनावी राजनीति में 'श्राद्ध' जैसे शब्द पहले कब इस्तेमाल हुए. बात आगे बढ़कर 'बाप' तक पहुंची है.
एमपी के चुनाव में शब्दों पर बवाल, कमीशन से श्राद्ध:मुद्दे सिरे से नदारद हों ऐसा नहीं है. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में शब्द पकड़कर ऐसे राजनीति हो रही है कि एक एक शब्द पर गुत्थमगुत्था हो रहे हैं नेता. चुनाव की तारीखों के साथ ये ट्रेंड और बढ़ा है. चुनाव जब दूर था तो कर्नाटक चुनाव की तर्ज पर एमपी में कांग्रेस ने कमीशन की एंट्री कराई, पोस्टर वार शुरु हुआ, सोशल मीडिया कैम्पेन शुरु हुआ. कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर 50 परसेंट कमीशन कैम्पेन शुरु किया. इसे नाम दिया गया शिवराज का मिशन 50 परसेंट कमीशन. हालांकि चुनाव की तारीखों के एलान के बाद सीन ऐसा बदला कि एमपी में सियासत श्राद्ध पर सवार हो गई. असल में बीजेपी की चौथी सूची जारी होने का जो समय है श्राद्ध पक्ष उसे लेकर मुद्दा बनाया गया और कहा कि शिवराज सिंह चौहान के नाम इस समय जानबूझकर जारी किया गया. हालांकि इस श्राद्ध पॉलीटिक्स से कांग्रेस ने पहले ही किनारा कर लिया और कहा कि जो भी कंटेंट है उसका कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं. लेकिन इस मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय के अलावा केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सीन में आए.