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MP Hindu Shayar: हिंदुस्तान की मिसाल हुए भोपाल के ये हिंदू शायर, जुबान से निकालते थे ऊर्दू-अरबी का बेजोड़ कलाम - भोपाल हिंदू शायर और शायरी

आपने कई शायरों को सुना और पढ़ा होगा, लेकिन कुछ ऐसे भी शायर हैं, जो हिंदू हैं. उन्होंने कलाम पढ़ा है, लेकिन वे गुमनाम ही रह गए. आइये ऐसे ही कुछ हिंदू शायरों और उनकी शायरी के बारे में जानते हैं.

MP Hindu Shayar
उर्दू के हिंदी शायर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 8:08 PM IST

Updated : Oct 28, 2023, 3:44 PM IST

उर्दू के हिंदू शायर पर इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी से खास बातचीत

भोपाल। शायरी किसी शहर में इस कदर रच बस जाए कि उस शहर के कारोबारी सरकारी कारिंदे भी ऐसी बेजोड़ शायरी कर जाएं कि आप इरशाद किए बगैर ना रह सकें. यहां नवाबों के शहर भोपाल का जिक्र हो रहा है. नवाबों और बेगमों के दौर में शायरी इस कदर परवान चढ़ी थी कि लश्करी जुबान कही जाने वाली उर्दू में उस दौर के जागीरदारों कारोबारी और कर्मचारियों ने भी ऐसे कलाम पढ़े कि सुनने वालों की जुबान से दाद के सिवाय कुछ नहीं निकला. क्या आपने खालिस उर्दू में शायरी करने वाले इन हिंदू शायरों का नाम और कलाम पढ़ा है. क्यों चढ़ा था इन्हें शायरी का जुनून...इनकी शायरी का अहसास क्या था. पढ़िए ईटीवी भारत से शेफाली पांडेय की ये खास रिपोर्ट.

उर्दू गजल की किताब

सुनिए जुगल किशोर और सोहनलाल की शायरी:भोपाल के इतिहास से जुड़ी हर जानकारी को बहुत करीने से संभाल रहे, इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी ने उन शायरों को तलाशा. भोपाल के वो हिंदू शायर जो खालिस ऊर्दू में कलाम कहते थे. खास बात ये भी कि ये सिर्फ शायरी नहीं करते थे. कोई कारोबारी था तो कोई नवाबी दौर में जागीरदार और कोई नवाबी सल्तनत में नवाब साहब का मुलाजिम, लेकिन ऊर्द के माहौल का वो असर था कि ये भी शायरी कहने लगे.

खालिद गनी साहब बताते हैं "ऊर्दू एक ऐसी जुबान है कि जिसकी चाशनी से हर कोई मुत्तासिर हो जाता है. फिर ये कैसे बच जाते. वे नवाब नजर मोहम्मद खान दौर में रहे मुंशी जुगल किशोर सीराम का शेर सुनाते हैं... जुगल किशोर कहते हैं "रोशन है इसी नूर से बुत खाना और काबा वो देर का शोला है, वो कंदील हरम का. इसी तरह सिकंदर जहां बेगम के जमाने में उनके मुलाजिम जो शायर भी थे. सोहनलाल फरोग फरमाते हैं... नीम बिस्मिल करके तुम तो चल दिए, जां बल्व में उम्र भर तड़पा किया.

हिंदू शायरों की शायरी

भोपाली सेठ छोगमल नजम की रुहानी शायरी सुनिए:सैय्यद खालिद गनी साहब ने ऐसे और शायर तलाशे हैं. उनमें से एक हैं सेठ छोग मल नजम. सेठ छोग मल शाहजहां बेगम के दौर में थे. खुद शाहजहां बेगम भी बहुत अच्छी शायरा थी. जाहिर है कि उनके दौर में आम आदमी के भीतर भी शायरी के गुल खिल रहे थे. इसकी मिसाल पेश करते हैं, सेठ छोग मल नजम जो कहते हैं... अगर वो याद करते हैं, तो सूरज भी दिखा जाए इलाही जां गुसल अयां करेंगी, हिचकियां कब तक...

इसी तरह नवाब जहांगीर मोहम्मद खान के दौर में थे, मुंशी जुगल किशोर सगीर वो कहते हैं... दिल ए वहशी को ख्वाहिश है तुम्हारे दर पे आने की... दीवाना है मगर वो बात करता है ठिकाने की. सिकंदर जहां बेगम के दौर में हुए शायर लाला गोपीनाथ सहाय को सुनिए... बैठा हूं नक्श-ए पा की तरह कू ए यार में उठना मुहाल हो गया बस इंतजार में.

हिंदू शायरों की शायरी

यहां पढ़ें...

भोपाल में उर्दू गजल को संजोया अनीसा सुल्तान ने:सैय्यद खालिद गनी साहब ने नवाबों और बेगमों के दौर के दस्तावेज और जानकारियां सहेजी हुई हैं. वे बताते हैं ये जो गुमनाम शायर थे. ये गुमनाम ही रह जाते, लेकिन भोपाल के शायर और उनकी शायरी को भोपाल की ही रहने वाली अनीसा सुल्तान ने संभाल लिया. इस पर उनकी पीएचडी है. इस पर हाथ से लिखी पीएचडी में जिसमें सैय्यद खालिद गनी से लेकर नवाबी और बेगमों के दौर में हुए तमाम हिंदू शायर अपनी शायरी के साथ मौजूद हैं.

Last Updated : Oct 28, 2023, 3:44 PM IST

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