भोपाल।2015 से शुरू हई स्लॉटर हाउस की शिफ्टिंग करीब पांच सालों से लटकी हुई है. मामले को लेकर सिर्फ सुनवाई हो रही है और हर सुनवाई में सिर्फ अलग-अलग कारण बताए जा रहें हैं. ये मामला नियमों और तारीखों के मकड़जाल में फंस कर रह गया है.
2016 से ही विवाद में है स्लॉटर हाउस (Slaughter house)
करीब 40 साल पुराने स्लॉटर हाउस शिफ्टिंग 2016 से ही विवाद में है. पहले जिंसी निवासी ही सिर्फ इसके विरोध में थे. दरअसल यहां 67 एकड़ भूमि स्टड फार्म के लिए थी जिसके नजदीक ही स्लॉटर हाउस संचालित हो रहा है. पहले नगर निगम ने बिना सर्वे कराए इसी जमीन पर आधुनिक स्लॉटर हाउस जीरो वेस्ट के साथ बनाने के लिए जमीन का आवंटन किया था, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते इसको शहर के बाहर शिफ्ट करने की बात सामने आई. इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 2019 के आदेशों के बाद नगर निगम ने स्लॉटर हाउस की शिफ्टिंग के लिए आदमपुर छावनी में 'वेस्ट टू एनर्जी प्लांट'(waste to energy plant) के पास ही 7 एकड़ जमीन पर स्लॉटर हाउस शिफ्ट करने की योजना बनाई. इसके लिए वहां पर 7 एकड़ जमीन को आरक्षित भी किया गया. इसके लिए तहसीलदार हुजूर ने दावे, आपत्तियां दर्ज कराने का विज्ञापन भी जारी किया था. इस जमीन को लेकर आपत्ति दर्ज कराने के लिए पांच दिन का समय दिया गया था. इस पर क्षेत्रीय ग्रामीण अपनी आपत्तियां दर्ज कराने बड़ी संख्या में पहुंच गए.
विरोधियों ने बताए कई कारण
विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि आदमपुर छावनी में जो स्थान स्लॉटर हाउस के लिए चुना गया है, वह नगरीय सीमा से 30 की बजाय 13 किमी दूर है. दूसरा कारण था कि स्लॉटर हाउस ग्रामीण आबादी से 500 मीटर दूर होना चाहिए, लेकिन यह स्थान आबादी से 200 मीटर की दूरी पर भी नहीं था. इसके अलावा विरोध का एक और बड़ा कारण था, वह था कि आदमपुर छावनी से स्लॉटर हाउस के लिए तय किए गए स्थान से ढाई किमी की दूरी पर भोपाल का प्रसिद्ध कंकाली मंदिर है. जिसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने और मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पर्यटन विभाग ने पांच करोड़ स्वीकृत किए थे.