भोपाल।शिवराज सरकार का आखिरी कैबिनेट विस्तार लगभग तय था, हाईकमान से भी हरी झंडी मिल चुकी थी, लेकिन कैबिनेट में आस लगाए नेताओं के मन में अब मायूसी है. सूत्रों की माने तो अब कैबिनेट विस्तार ठडे बस्ते में चला गया है, लेकिन अब सरकार चुनावी मोड में आ चुकी है, लिहाजा कैबिनेट विस्तार का चैप्टर अब क्लोज हो गया है. अभी 31 मंत्रिमंडल सदस्य हैं, संख्या के लिहाज से अधिकतम 35 सदस्यों से ज्यादा का मंत्रिमंडल नहीं हो सकता है. ऐसे में सिर्फ 3 से 4 लोगो को ही मंत्री पद दिया जा सकता है. लेकिन फेहरिस्त बहुत लंबी है. माना जा रहा है की सिंधिया के और समर्थकों को पार्टी एडजस्ट करती है तो पार्टी में फिर बगावत के तेवर दिखाई दे सकते हैं.
नेताओं को हाथ लगी मायूसी:चुनावी साल में मंत्री पद की लालसा लगाए नेताओं के हाथ मायूसी लगी है. जिसका असर चुनावो में पड़ेगा, जानकारों के मुताबिक जो लोग नाराज है, जो मंत्री पद की दौड़ में थे, ऐसे में उनको मंत्री बनाए जाने से पार्टी के वोट बैंक को घाटा होगा. वहीं जातिगत संतुलन बैठाने में भी पार्टी को दिक्कत आ रही है. अभी फिलहाल शिवराज कैबिनेट में 30 प्रतिशत क्षत्रीय हैं, ओबीसी करीब 25 प्रतिशत, लेकिन आदिवासी और एस सी कोटे से 4 और 3 चेहरे हैं.
शिवराज कैबिनेट के तीसरे विस्तार की तैयारी पूरी थी:दिसंबर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय हाईकमान से हरी झंडी मिल चुकी थी, संगठन नेवी मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया था. जिसमे 10 से 12 नए चहरे शामिल करने की तैयारी थी और ऐसे मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा था. जिनका परफॉर्मेंस खराब था और उनकी ग्राउंड रिपोर्ट में जनता की उनके प्रति नाराजगी दिखाई दे रही थी.
सिंधिया कोटे से मंत्रियों को हटाया जा रहा था:दरअसल कोर कमेटी की सिफारिशों के बाद 4 नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल करना था, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्रियों की रिपोर्ट खराब होने के चलते उन्हें हटाना भी था, पर पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंधिया ने वीटो लगा दिया और ऐसे ही में अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पास विकल्प नहीं बचा था. लिहाजा कैबिनेट एक्सपेंशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.