भोपाल।मध्यप्रदेश में अब बुजुर्ग महिलाएं भी बलात्कारियों से सुरक्षित नहीं हैं. हम ही नहीं हाल ही में आए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. अब तक जवान और नाबालिग बच्चियों का सुरक्षा कवच मानी जाने वाली दादी,नानियां भी रेप का शिकार बन रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि बुजुर्ग महिलाएं भी अपने सम्मान की हिफाजत नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये कौन वहशी लोग होते हैं, बलात्कारियों के दिमाग में क्या चलता रहता है, क्या यह कोई मानसिक बीमारी जिसमें हवस पूरी करने के लिए आरोपी बुजुर्ग महिलाओं को भी नहीं बख्शता. हाल ही में हुई कुछ घटनाएं जैसेभोपाल में 78 बरस की बुजुर्ग लाचार महिला से दरिंदगी, शिवपुरी में दामाद ने ही अपनी दादीसास को ऐसी दरिंदगी का शिकार बनाया. ईटीवी भारत ने ऐसे सवालों के जवाब जानने की कोशिश की.
आशीर्वाद देने की उम्र में दरिंदगी का शिकार बन रहीं बुजुर्ग महिलाएं:78 पार की बुजुर्गों से बलात्कार,भोपाल और शिवपुरी से आईं ये खबरें समाज को झकझोर देने वाली हैं. क्या समाज को नए सिरे से सोचना पड़ेगा कि बुजुर्ग महिलाओं को वहशियों से कैसे बचाएं. भोपाल में 78 बरस की उम्र की बुजुर्ग महिला को 37 वर्ष के एक नौजवान ने की दरिंदगी ,ये घटना वीभत्स और हैरान कर देने वाली है. (Bhopal Shivpuri Rape Case) सवाल ये भी है कि क्या महिलाओं के सुरक्षित होने की कोई उम्र भी है? क्या एक महिला होने के नाते वे कभी किसी उम्र में बेफिक्र जीवन जी पाएंगी. ताजा घटनाएं बताती हैं कि उम्र, सुरक्षा और वहशत के बीच किसी किस्म का कोई बंधन नहीं बचा है. रिश्तों में भी इस दिमागी फितून ने सड़ांध भर दी है. बाहर ही नहीं अब घर में भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. फिर उम्र से वे चाहें बच्ची हों, नाबालिग हों, नव विवाहिता या फिर दादी ,नानी की उम्र की बुजुर्ग महिलाएं. आखिर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले और समाज की रीति नीति की धज्जियां उड़ा देने वाले वहशी क्यों और किसलिए ऐसा करते या कर पातें हैं. हमने इन सवालों के जवाब भी तलाशे.
डराते और शर्मनाक सच्चाई बताते हैं NCRB के आंकड़े:60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में देश में सबसे ऊपर मध्यप्रदेश है. ये आंकड़े अहसास कराते हैं कि प्रदेश में सीनियर सिटीजन कितने सुरक्षित हैं. देश में साल 2021 में 78 रेप ऐसे हुए हैं जिनमें पीड़ित महिला की उम्र 60 साल या उससे अधिक है. इनमें से 15 घटनाएं मध्य प्रदेश में हुई हैं जो सबसे ज्यादा हैं. सीनियर सिटीजन के खिलाफ होने वाले अपराधों में देश में महाराष्ट्र, तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा बुजुर्गों की हत्या मध्य प्रदेश में हुई हैं. एनसीआरबी की ताजा अगस्त 2022 में आई रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में हर तीन घंटे में एक बच्ची से ज्यादती का मामला दर्ज होता है. मध्य प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के खिलाफ अपराधों की दर 92.3 है. यानि राज्य में हर एक लाख की जनसंख्या में 92.3 अपराध दर्ज किए गए हैं. हाल ही कुछ घटनाएं बताती हैं कि बलात्कारियों को फांसी देने, पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किए जाने, उनके घर-मकानों पर बुलडोजर चलाए जाने जैसी सरकारी कार्रवाईयों से भी कुछ नहीं बदला है. महिलाओं को हवस का शिकार बनाए जाने का ये सिलसिला लगातार जारी है. कुछ ताजा घटनाएं इसी तरफ इशारा करती हैं.
-15 नवंबर 2022- ग्वालियर के एक गांव में 70 साल की बुजुर्ग से रेप
-27 अक्टूबर 2022- सीधी, शराब के नशे में 65 साल की दलित बुजुर्ग के साथ रेप
-15 जून 2022-बैतूल जिले में 62 साल की बुजुर्ग महिला के साथ रेप
रेप का हर 10 वां मामला MP का:मध्यप्रदेश में 2020 में भी यही हालात थे, तब 5,598 दुष्कर्म के केस दर्ज हुए थे. जिसमे 3,259 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले थे. रेप के मामलों में तब भी मध्य प्रदेश देश में नंबर वन था. प्रदेश में 2021 में औसतन हर 17 मिनट में महिलाओं के खिलाफ अपराध का एक केस दर्ज हुआ. NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य के रूप में मध्य प्रदेश की बदनामी जारी है, राज्य में फिर से 2021 में देश में बलात्कार की वारदात 6,462 दर्ज की गई हैं. इन 6,462 मामलों में 50% से ज्यादा मामले यानी कि 3515 मामलों में पीड़ित नाबालिग हैं. बाकी रेप केस बुजुर्ग और नवविवाहित महिलाओं के साथ दर्ज हुए. आंकड़ों की जांच से पता चलता है कि देश में दर्ज हुए रेप के मामलों में हर दसवां मामला मध्यप्रदेश में दर्ज हुआ है.
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क्या मानसिक रोगी होता है बलात्कारी:पीडोफीलिया और जिरोंटोफिलिया से ग्रसित होते हैं, बच्चे और बुजुर्गों के साथ रेप करने वाले रेपिस्ट. जो बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं वे पीडोफीलिया के शिकार होते हैं जबकि बुजुर्गों के साथ रेप करने वाले जिरोंटोफिलिया नाम की बीमारी से ग्रसित होते हैं. मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य बताती हैं कि इलाक ही ऐसे लोगों को कंट्रोल करने का एकमात्र उपाय होता है. मनोचिकित्सक रूमा भट्टाचार्य के मुताबिक बच्चियों और बुजुर्गों के साथ रेप करने वाले रिपेस्ट दरअसल मानसिक विकृति से जूझ रहे होते हैं. डिप्रेशन और तनाव के कारण वह शुरू से ही इस प्रवृत्ति में चले जाते हैं. अपने से बड़ी उम्र और बुजुर्ग महिला के साथ रेप वाले रेपिस्ट जिरोंटोफिलिया बीमारी से ग्रसित होते हैं. पीडोफीलिया वह बीमारी होती है जिसमें रेप करने वाले रेपिस्ट का टारगेट छोटी बच्चियां होती हैं. इस मानसिकता के रोगी छोटी बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं. जिसका कारण बच्चियों की नासमझी होती है और वह किसी को बता भी नहीं पातीं. इस बीमारी में मानसिक रूप से बीमार रेपिस्ट शुरू से ही बच्चियों की प्रति आकर्षित रहता है.रूमा बताती है कि जिरोंटोफिलिया बीमारी में रेप करने वाले रेपिस्ट का टारगेट बुजुर्ग महिलाएं होती हैं. दरअसल शुरू से ही इस बीमारी से ग्रसित लोगों में बुजुर्गों के प्रति यह नजरिया रहता है कि वह कब उन्हें एकांत में मिले और कब वह उनके साथ ऐसी घटनाओं को अंजाम दें। यह सिर्फ अपनी शारिरिक जरूरत को पूरा करने के लिए बुजुर्ग महिलाओं को शिकार बनाते हैं.
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सैक्सुअल प्लेजर में उम्र नहीं देखी जाती:एक अन्यमनोचिकित्सक अदिति सक्सेना कहती हैं कि, सैक्सुअल प्लैज़र में उम्र कोई मायने नहीं रखती. सैक्समैनिया जो व्यक्ति होता है वो उम्र पर नहीं जाता है, उसके लिए पुरुष, महिला बस ये फोकस रहता है. ये एक मानसिक रोग है, ये हम पहचान नहीं पाते हैं. परिवार में महिलाएं जो हैं, वे इस रोग को पकड़ सकती हैं, लेकिन घर के मान, इज्जत के बचाव में, या ये दामाद है, कई बार ऐसे मामले छिपा भी लिए जाते हैं. लेकिन होता ये है कि किसी भी नशे में ये रोग एक्टिवेट हो जाता है. दूसरी बात ये है कि बुजुर्ग इजी टारगेट होतीं हैं, वे विरोध नहीं कर पातीं, बच्चियां इजी टारगेट हैं. इसके अलावा बुजुर्ग जल्दी विश्वास कर लेते हैं, तो अब जरुरी ये है कि बुजुर्ग भी अब से सचेत रहें. क्योंकि यह मामला न पहला है और न आखिरी